आज का इतिहास: भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स

सुनीता विलियम्स भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और अमेरिकी नौसेना की अधिकारी हैं। वे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के जरिये अंतरिक्ष में यात्रा करने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं।  सुनीता का ताल्लुक भारत के गुजरात के अहमदाबाद शहर से है। इन्होंने एक महिला अंतरिक्ष यात्री के रुप में 195 दिनों तक अंतरिक्ष में रहने का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है।

आज का इतिहास: भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स

एक महिला अंतरिक्ष यात्री द्वारा किया गया सबसे ज्यादा बार किया गया स्पेस वाक का कीर्तिमान एक समय पर उनके नाम पर था। साथ ही सबसे ज्यादा समय तक स्पेस वाक का कीर्तिमान भी उन्ही के नाम पर है। उनके पिता दीपक पाण्डया अमेरिका में एक डॉक्टर हैं। उन्हें अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र में एक्सपीडिशन 14 और एक्सपीडिशन 15 के लिए नियुक्त किया गया था। सन 2012 में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र के एक्सपीडिशन 32 के लिए फ्लाइट इंजीनियर की भूमिका निभाई और एक्सपीडिशन 33 में वे कमांडर की भूमिका में नजर आयीं।

प्रारंभिक जीवन

सुनीता विलियम्स का जन्म अमेरिका के ओहायो राज्य के यूक्लिड शहर में 19 सितंबर, 1965 में हुआ था। उनके पिता डॉ दीपक पंड्या सन 1964 में भारत से अमेरिका चले गए थे। उनकी माता उर्सुलीन बोनी पंड्या स्लोवेन-अमेरिकी मूल की हैं। अपने तीन भाई-बहनों में सुनीता सबसे छोटी हैं। उनके भाई जय थॉमस पंड्या उनसे चार साल बड़े हैं और उनकी बहन डायना अन्ना तीन साल।

सुनीता के पिता डॉ दीपक पंड्या का सम्बन्ध भारतीय राज्य गुजरात के मेहसाना जिले से हैं जहाँ उनका जन्म झुलासन में हुआ था जबकि उनकी माता के परिवार का सम्बन्ध स्लोवेनिया से है।

विलियम्स ने मस्साचुत्तेस (नीधम) के नीधम हाई स्कूल से सन 1983 में स्कूल की पढ़ाई पूरी की और सन 1987 में ‘यूनाइटेड स्टेट्स नेवल अकैडमी’ से फिजिकल साइंस में स्नातक किया। इसके पश्चात उन्होंने फ्लोरिडा इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से सन 1995 में ‘इंजिनीरिंग प्रबंधन’ में स्नातकोत्तर किया।

अमेरिकी सेना में करियर

सन 1987 में सुनीता विलियम्स को अमेरिकी सेना में कमीशन प्राप्त हुआ। लगभग 6 महीने की अस्थायी नियुक्ति के बाद उन्हें ‘बेसिक डाइविंग ऑफिसर’ का पद दिया गया। सन 1989 में उन्हें ‘नेवल एयर ट्रेनिंग कमांड भेज दिया गया जहाँ ‘नेवल एविएटर नियुक्त किया गया। इसके पश्चात उन्होंने ‘हेलीकाप्टर कॉम्बैट सपोर्ट स्क्वाड्रन’ में ट्रेनिंग ली और कई विदेशी स्थानों पर तैनात हुईं। भूमध्यसागर, रेड सी और पर्शियन गल्फ में उन्होंने ‘ऑपरेशन डेजर्ट शील्ड’ और ‘ऑपरेशन प्रोवाइड कम्फर्ट’ के दौरान कार्य किया। सितम्बर 1992 में उन्हें H-46 टुकड़ी का –ऑफिसर-इन-चार्ज बनाकर मिआमि (फ्लोरिडा) भेजा गया। इस टुकड़ी को ‘हरिकेन एंड्रू’ से सबंधित रहत कार्य के लिए भेजा गया था।

आज का इतिहास: भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स

सन 1993 के जनवरी महीने में सुनीता ने ‘यू.एस. नेवल टेस्ट पायलट स्कूल’ में अभ्यास प्रारंभ किया और दिसम्बर माह में कोर्स पूरा कर लिया। दिसम्बर 1995 में उन्हें ‘यू.एस. नेवल टेस्ट पायलट स्कूल’ में ‘रोटरी विंग डिपार्टमेंट’ में प्रशिक्षक और स्कूल के सुरक्षा अधिकारी के तौर पर भेजा गया। वहां उन्होंने यूएच-60, ओएच-6 और ओएच-58 जैसे हेलिकॉपटर्स को उड़ाया। इसके बाद उन्हें यूएसएस सैपान पर वायुयान संचालक और असिस्टेंट एयर बॉस के तौर पर भेजे गया। सन 1998 में जब सुनीता का चयन NASA के लिए हुआ तब वे यूएसएस सैपान पर ही कार्यरत थीं।

नासा करियर

सुनीता विल्लिअम्स का एस्ट्रोनॉट कैंडिडेट प्रशिक्षण ‘जॉनसन स्पेस सेण्टर में अगस्त 1998 में प्रारंभ हुआ। 9 दिसम्बर 2006 में सुनीता को अंतरिक्षयान ‘डिस्कवरी’ से ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र’ भेजा गया जहाँ उन्हें एक्सपीडिशन-14 दल में शामिल होना था। अप्रैल 2007 में रूस के अंतरिक्ष यात्री बदले गए जिससे ये एक्सपीडिशन-15 हो गया। एक्सपीडिशन-14 और 15 के दौरान उन्होंने तीन स्पेस वाक किये। 6 अप्रैल 2007 को उन्होंने अंतरिक्ष में ही ‘बोस्टन मैराथन’ में भाग लिया और 4 घंटे 24 मिनट में पूरा किया। अंतरिक्ष में मैराथन में दौड़ने वाली वे पहली व्यक्ति बन गयीं। २२ जून 2007 को वे पृथ्वी पर वापस आ गयीं।

सन 2012 में सुनीता एक्सपीडिशन 32 और 33 से जुड़ीं। उन्हें 15 जुलाई 2012 को बैकोनुर कोस्मोड्रोम से अंतरिक्ष में भेजा गया। उनका अंतरिक्ष यान सोयुज़ ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र’ से जुड़ गया। वे 17 सितम्बर 2012 में एक्सपीडिशन 33 की कमांडर बनायी गयीं। ऐसा करने वाली वे सिर्फ दूसरी महिला हैं। सितम्बर 2012 में ही उन्होंने अंतरिक्ष में त्रैथलों करने वाला पहला व्यक्ति बनीं। 19 नवम्बर को सुनीता विल्लिअम्स पृथ्वी पर वापस लौट आयीं।

आज का इतिहास 

19 सितम्बर का इतिहास 

1581 – सिख गुरु राम दास का निधन।

1891 – विलियम शेक्सपीयर के प्रसिद्ध नाटक मर्चेंट ऑफ वेनिस का मैनचेस्टर में पहली बार मंचन किया गया।

1893 – न्यूजीलैंड में निर्वाचन अधिनियम 1893 के तहत सभी महिलाओं को मतदान का अधिकार दिया गया।

1936 – हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीतज्ञ विष्णु नारायण भातखंडे का निधन हुआ।

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1955 – अर्जेंटीना की सेना और नौसेना ने विद्रोह कर राष्ट्रपति जुआन पेरोन को पद से हटाया।

1957 – अमेरिका ने नेवादा के रेगिस्तान में पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण किया।

1982 – स्कॉट फाहमैन ऑनलाइन संदेश का इस्तेमाल करने वाले पहले व्यक्ति बने।

1988 – इजरायल ने परीक्षण उपग्रह होराइजन-आई का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया।

1996 – ग्वाटेमाला और वामपंथी विद्रोहियों की सरकार ने लंबे समय से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए शांति संधि पर हस्ताक्षर किए।

2000 – कर्णम मल्लेश्वरी ने ओलंपिक में भारोत्तोलन स्पर्धा में कांस्य पदक जीता।

2006 – थाईलैंड में सैन्य तख्तापलट, जनरल सुरायुद प्रधानमंत्री बने।

2014 – एप्पल आईफोन 6 की बिक्री शुरु हुई।

आज जन्में व्यक्ति 

1958 – लकी अली- भारतीय गायक, संगीतकार और अभिनेता।

1965 – सुनीता विलियम्स – अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ के माध्यम से अंतरिक्ष जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला।

1977 – आकाश चोपड़ा- भारतीय क्रिकेटर।

1927 – कुंवर नारायण – हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध और सम्मानित कवि।

1867 – श्रीपाद दामोदर सातवलेकर – बीसवीं शताब्दी के भारतीय सांस्कृतिक उन्नयन में विशेष योगदान देने वाले विद्वान।

  आज के महत्वपूर्ण उत्सव और अवसर

  राष्ट्रीय हिन्दी दिवस (सप्ताह)

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