नई दिल्ली। तीन तलाक को लेकर संशोधित विधेयक शुक्रवार को राज्यसभा में पेश किया जाना था, लेकिन यह शीतकालीन सत्र तक के लिए टल गया। माना जा रहा है कि सरकार अब इस विधेयक पर अध्यादेश ला सकती है।
इससे पहले गुरुवार को कैबिनेट ने तीन तलाक से जुड़े बिल में संशोधनों के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसके तहत पत्नी को एक बार में तीन तलाक देने के दोषी पति को जमानत दिए जाने का प्रावधान विधेयक में जोड़ा जाएगा। इसे जोड़ने की मांग विपक्षी दलों ने की थी।
वहीं कांग्रेस नेता हुसैन दलवाई ने शुक्रवार को कहा, ‘‘सभी धर्मों में महिलाओं के साथ गलत व्यवहार किया जाता है। सिर्फ मुस्लिम ही नहीं, हिंदू, ईसाई और सिख आदि सभी समाज पुरुष प्रधान हैं। श्रीराम चंद्रजी ने भी शक के कारण सीताजी को छोड़ दिया था। इसलिए हमें सब कुछ बदलने की जरूरत है।’’
इसके अलावा पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने 3:2 के बहुमत से कहा था कि एक साथ तीन तलाक कहने की प्रथा यानी तलाक-ए-बिद्दत वॉइड (शून्य), असंवैधानिक और गैरकानूनी है।
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बता दें गुरुवार को ही मोदी कैबिनेट ने इस बिल में संशोधन किए थे, जिसके बाद अब ये बिल पास होने की उम्मीद जताई जा रही थी। लेकिन विपक्ष के विरोध के कारण बिल पेश ही नहीं हो पाया। इससे पहले कांग्रेस ने इस बिल में कई तरह की कमियां बताई थीं, जिसके बाद बिल को संशोधित किया गया है।
गौरतलब है कि संसद का मॉनसून सत्र 18 जुलाई से शुरू हुआ था, इस सत्र में ही सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। अविश्वास प्रस्ताव में भी मोदी सरकार को बड़ी जीत मिली थी।