100 साल पहले छपा ये ढाई रुपए का नोट बना देगा आपको लखपति

ढाई रुपए का नोटनई दिल्ली। भले ही आज देश में बड़े-बड़े नोटो ने दस्तक दे दी हो लेकिन एक वक्त था जब देश में ढाई रुपए का नोट भी बहुत मायने रखता था। मतलब जिसके पास भी ढाई रुपए का नोट होता था उसे राजा समझा जाता था। बता दें कि 2 जनवरी 2018 में ब्रिटिश सरकार के तरफ से जारी हुए ढाई रुपए के नोट को 2018 में पूरे सौ साल हो चुके हैं।

खबरों के मुताबिक, ये नोट सफेद कागज़ पर छापा गया था और इसपर जॉर्ज पंचम की मुहर छपी थी। इस नोट पर ब्रिटिश फाइनेंस सेक्रेट्री एम एम एस गब्बी के सिग्नेचर थे।

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ये नोट सात सर्किल्स के हिसाब से प्रिफिक्स थे। ये सात सर्किल कानपुर (c), बॉम्बे (B), कराची (K), लाहौर(L), मद्रास (M) और रंगून (R)। ये नोट शुरुआत में इन इलाकों में ही चलता था। एक समय इस ढाई रुपए की कीमत 1 डॉलर के बराबर थी। साल 1926 में ब्रिटिश सरकार ने ये नोट बंद कर दिया और दोबारा जारी नहीं किया।

अब ये नोट दुर्लभ बन गया है। इसके बाद एक नीलामी में ढाई रुपए का ये नोट 6,40,000 का बिका था। बता दें कि जिस दौर में ये ढाई रुपए का नोट जारी हुआ था उस समय भारत में ‘आना’ सिस्टम था। एक रुपए में सोलह ‘आने’ होते थे।इसका मतलब हुआ कि ढाई रुपए के नोट में 40 ‘आने’ होते हैं। 8 की गिनती में चलने वाला ये ढाई रुपए या 40 ‘आने’ का नोट कुछ वैसा ही था, जैसा आज का 50 रुपए का नोट।

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अंग्रेजो के आने से पहले भारत में सिक्के की मुद्राएं चलन में होती थी। इसलिए यहां पर नोट की छपाई नहीं होती थी। इसी के चलते ढ़ाई रुपए के सारे नोटों की छपाई ब्रिटेन में किया गया था। तब नोटों को जहाज से भारत लाया गया था।

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