मोहर्रम के खास मौके पर देखे लाजवंती के बीजों से बना यह ‘स्पेशल ताजिया’

रिपोर्ट- दिलीप कटियार          

फर्रूखाबाद। कर्बला के 72 शहीदों की याद में तो ताजिये हर कहीं उठाये जाते हैं लेकिन फर्रुखाबाद के हाजी मोहम्मद अशफाक लाजवंती के बीजों का हरा-भरा ताजिया बनाकर हरियाली बचाने का पैगाम दे रहे हैं। लाजवंती के बीजों के किल्ले ताजिये के ढांचे को मखमली चादर का आकार दे देते हैं। जिसका संदेश यह है कि हम पेंड़ों को कटने से बचायें और पर्यावरण को सुरक्षित रखें। लाजवंती आयुर्वेदिक औषधि है और इसे हालों भी कहा जाता है। लाजबंती के बीजों से बांस की खपच्चों से बने ढ़ांचे को ताजिये की शक्ल देते हैं। लाजवंतीका जैसा नाम वैसा ही उसका काम।

लाजबंती की ताजिया

फर्रुखाबाद के तकिया नशरत शाह मोहल्ले में हजरत मरहूम मीर मौसम अली की दरगाह पर हाजी मोहम्मद अशफाक लाजवंती के बीजों से बांस की खपच्चों से बने ढ़ांचे को ताजिये की शक्ल देते हैं। लाजबंती का जैसा नाम वैसा ही उसका रखरखाव भी है। इतनी नाजुक की धूप का असर पड़ते ही कुम्हला जाये। आपको बता दें कि लाजवंती को वैद्य जानवरों की चोट का जख्म भरने के काम लाते हैं। इसमें आयरन की प्रधानता होती है। लेकिन अशफाक नेे लाजवंती की हरियाली को पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लोगों को जगाने का जरिया बना लिया है।

पिछले सालों के मुकाबले लाजवंती के बीजों का रेट तीन गुना तक हो गया। महंगा बीज खरीदने की हिम्मत जुटाने के बाद उनके साथ गुगली हो गयी। पुराना बीज मिलने से उसमें किल्ले नहीं फूटे। अशफाक को समय से यह पता लगा तो फिर दूसरे बीज लाकर ताजिया बनाना शुरु किया। लाजबंती के बीजों से ताजिया बनाने में ही कारीगरी है।

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लाजबंती के बीज से अंकुरित किल्लों से ढकी गुंबद और मीनरें ताजिये को सुंदर लुक देती हैं। ताजिया बनाने वाले परिवार के मुखिया हाजी मोहम्मद अशफाक बताते हैं कि ताजिया लोगों को हरियाली बचााने का संदेश देता है। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हरियाली बहुत जरुरी है।

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