ज्ञान ही नहीं किताबों के लिए भी तरस रहा देश का भविष्य, सरकार सपना दिखाकर दे रही धोखा

रिपोर्ट- दिलीप कटियार 

फर्रुखाबाद। सरकार लाख दावे करे की शिक्षा विभाग में सबकुछ ठीक है। अधिकारी कागजों में ही सब ठीक होने का दावा करते है लेकिन धरातल पर सब कुछ अलग है। जिले के परिषदीय विद्यालयों में अभी तक सरकारी किताबें नहीं पहुंचाई गई है। जिले के तमाम स्कूल बिना किताबों के ही चल रहे है। केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार की योजना को ठेकेदार से लेकर शिक्षा अधिकारी चूना लगा रहे है।अभी किताबो की खेप पहुंची है उसका कब तक वितरण स्कूलो में कराया जायेगा। जिससे बच्चे अपनी पढ़ाई पूरी कर सके।शिक्षक भी किताबो के अनुसार ही बच्चो का कोर्स पूरा कराते हैं लेकिन जब किताबे ही नही होगी तो पढाई कैसे होगी।

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वहीं 2014,15,16,17 की किताबें फतेहगढ़ नरेंद्र सरीन प्राथमिक विद्यालयों में भरी हुई है।जिनका समय रहते वितरण नही किया गया जो आज रद्दी बन चुकी है। बेसिक शिक्षा विभाग रामभरोसे चल रहा है। चाहे वह किसी भी कार्य का ठेका दिया जाता हो सभी मे कमीशन खोरी के चलते मामले लटके रहते है।उन्हें अपने भविष्य की चिंता है परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले उन गरीब बच्चों की चिंता नहीं है।

इसी वजह से कान्वेंट स्कूल में लोग बच्चो को पढ़ाना शुरू कर दिया जिससे ग्रामीण क्षेत्र से परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की संख्या दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है। जिले की सभी बीआरसी पर किताबों का भंडारण है लेकिन यदि शिक्षक किताबे लेने नहीं पहुंच पाया तो खण्ड शिक्षा अधिकारी ने उन स्कूलो में किताबे नहीं भेजी है जबकि किताबें स्कूल तक पहुंचने का भाड़ा मिलता है। लेकिन ऐसा क्यों नही किया जा रहा है।

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यदि शिक्षा विभाग पूरे जिले के परिषदीय विद्यालयों में समय से पुस्तको का वितरण करा दे तो उन स्कूलो में पढ़ने वाले बच्चे भी अपना भविष्य बना सकते है। लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है यह मामला हर वर्ष होता है अधिकारी जांच के नाम पर मामले को दबा देते है। लेकिन कार्यशैली में कोई सुधार नहीं होता है।किताबे कमरों में भरी भरी सड़ने लगती है। लेकिन बच्चो के हाथों में नही पहुंच पाती है।

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