भारत का एकमात्र मंदिर, जहां विराजते हैं भगवान वेंकटेश्वर

हमारे देश में कई ऐसी जगह हैं जहां घूमने के साथ हम ईश्वर की भक्ति भी कर सकते हैं। ऐसी ही एक जगह है आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में। यह जगह मंदिरों का शहर नाम से भी जानी जाती है। पवित्र धार्मिक स्थलों में ‘तिरुपति’ एक है।

वेंकटेश्वर मन्दिर

यह दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला का अद्भुत नमूना है।

तिरुपति का वेंकटेश्वर मन्दिर बहुत मशहूर है। यह मंदिर सात पर्वतों में से एक वेंकटाद्रि पर बना भगवान विष्णु का मंदिर है। यह सात पर्वतों का मंदिर के नाम से भी मशहूर है।

वेंकटेश्वर मंदिर हवाई जहाज, रेल, बस से तिरुपति पहुंच सकते हैं।

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तिरुमला के चारों ओर स्थित पहाड़ियां, शेषनाग के सात फनों के आधार पर बनी सप्तगिरि कहलाती हैं। वेंकटेश्वर का मंदिर इन्हीं सप्तगिरि की सातवीं पहाड़ी पर स्थित है।

एक अनुमान के मुताबिक, प्रतिदिन इस मन्दिर में एक से दो लाख श्रद्धालु आते हैं, खास अवसर पर श्रद्धालुओं की संख्या लगभग 5 लाख तक पहुंच जाती है। दस दिन तक चलने वाले ब्रह्मोत्सवम में यहां भक्तों का जमावड़ा लगता है।

मंदिरों का शहर की पौराणिक कहानी

यह मंदिर अपनी भव्यता और विशालता के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा स्थापित है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में स्थापित भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति में ही प्रभु बसते हैं और वे यहां कलयुग में विराजमान रहेंगे।

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पुष्करणी कुंड

भगवान विष्णु ने कुछ समय के लिए तिरुमला स्थित स्वामी पुष्करणी नामक कुंड के किनारे निवास किया था। उसके बाद यह कुंड सबके लिए पवित्र बन गया। वैंकटेश्चर मंदिर में आने से पहले लोगों को इस कुंड के पवित्र जल में नहाना पड़ता है। इस जल में नहाने से सभी पाप मुक्त हो जाते हैं।

मंदिर में देखने के लिए बहुत कुछ है लेकिन- कृष्ण देवर्या मंडपम, रंग मंडपम तिरुमला राय मंडपम, आईना महल आदि मंदिर परिसर में मुख्य दर्शनीय स्थल हैं।

 

 

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