सांप्रदायिक दंगों में हिंदुओं ने बचाई थी मस्जिद, आज भी प्रतिदिन करते है साफ-सफाई

रिपोर्ट- विजय कुमार

मुज़फ्फरनगर। पांच वर्ष पूर्व जब क्षेत्र सांप्रदायिकता के आग में झुलस रहा था, वहीं एक मस्जिद की सुरक्षा एक हिन्दू बाहुल्य गांव के लोग कर रहे थे। रातों को जागकर मस्जिद की सुरक्षा करने वालें हिन्दू ग्रामीणों को इस मस्जिद से बहुत लगाव है। वहीं एक ग्रामीण पिछले 25 वर्षों से गांव में स्थित इस वीरान मस्जिद की देखरेख कर साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहा है।

मस्जिद में सफाई

दरअसल भोपा थाना क्षेत्र के ग्राम नन्हेडा की आबादी लगभग 3500 है। जाट बाहुल्य गांव में 120 वर्ष पुरानी मस्जिद स्थित है। जिसकी देखरेख रामवीर कश्यप पुत्र जामल कश्यप करता है। रामवीर प्रतिदिन मस्जिद में झाडू लगाकर साफ सफाई करता है तथा प्रतिवर्ष ईद के मौके पर इस मस्जिद की पुताई रंगाई भी करवाता है।

रामबीर कश्यप ने बताया कि 1995 से वह मस्जिद की देखरेख में जुटा है। मस्जिद की साफ सफाई कर रामबीर ने मस्जिद का जीर्णोद्धार किया। 2013 में जब साम्प्रदायिक दंगा हुआ था। तो नन्हेडा गांव के ग्रामीणों ने रातों को जागकर मस्जिद की सुरक्षा की, ग्रामीण नहीं चाहते थे कि उनके आश्रय में स्थित दूसरे धर्म के धार्मिक स्थल को कोई क्षति पहुंचे तथा गांव पर साम्प्रदायिकता का कोई दाग लगे।

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रामबीर कश्यप गुरू राम रहीम के अनुयायी हैं तथा सभी धर्मों की मान्यताओं का आदर करने में विश्वास रखते हैं। जिस कारण उनके परिवार में सुख शान्ति बनी हुई है। ईश्वर की विशेष कृपा उनके परिवार पर बनी हुई है। इंसानियत और भाई चारे, मानव सेवा व सर्वधर्म सम्भाव को अपना आदर्श मानने वाले रामवीर कश्यप वीरान मस्जिद में प्रतिदिन मोमबत्ती जलाकर रोशनी करते हैं तथा अगरबत्ती जलाकर प्रेम सुगन्ध बिखेर रहे हैं।

वहीं ग्राम प्रधान दारा सिंह ने बताया कि दंगे के दौरान हमारे गांव और आस पास के मुस्लिम गांव में किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है।  आस पास के सभी ग्रामीण आपस में मिलजुल कर रहते है। हमारे गांव में सैयदों के शासन में बनी मस्जिद हमारे गांव की धरोहर बन चुकी है। हमारे नन्हेड़ा गांव में कोई भी मुस्लिम परिवार ना होने के बावजूद भी गांव के ग्रामीणों ने इस मस्जिद की सेवा कर आज भी इसे जिन्दा रखा हुआ है। गांव के ग्रामीण रामबीर के साथ-साथ गांव के अन्य लोग भी मस्जिद की देख रेख में अपना पूरा योगदान करते है।

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