राष्ट्रपति ने वाजपेयी की पुत्री को लिखा ऐसा पत्र, जिसे हर भारतवासी को जानना है बेहद जरूरी

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर उनकी दत्तक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्य को पत्र लिखकर अपनी शोक संवेदना जाहिर की। राष्ट्रपति ने पत्र में कहा, “अटलजी भारतीय राजनीति के नवचेतना पुरुष थे।”

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उन्होंने कहा, “अटल बिहारी वाजपेयी के निधन की इस दुखद घड़ी में मेरी संवदेनाएं और भावनाएं आपके और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ हैं। अटलजी का निधन स्वभाविक रूप से आपका और घर में अन्य लोगों का व्यक्तिगत नुकसान है, लेकिन यह मेरे लिए भी व्यक्तिगत क्षति है।”

राष्ट्रपति ने कहा, “यह उनका कद और मर्यादा का आकर्षण था, जिसके कारण मैं कानूनी पेशा छोड़कर उनका सहयोगी बनने के लिए सार्वजनिक जीवन में आया। उनके साथ काम करना अविस्मरणीय अनुभव है। देश का राष्ट्रपति बनने के बाद जब मैं उनसे मिला तो वे शय्या पर थे, लेकिन उन्होंने अपनी आंखें हिलाकर प्रतिक्रिया की और मैंने अनुभव किया कि उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया।”

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वाजपेयी का गुरुवार को 93 साल की आयु में नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में निधन हो गया। उनकी अंत्येष्टि शुक्रवार को पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ राष्ट्रीय स्मृति स्थल में हुई। हजारों लोगों ने उनको श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

कोविंद, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता व विदेशी उच्चाधिकारियों ने दिवंगत नेता को अंतिम विदाई दी।

राष्ट्रपति ने कहा कि अटलजी के जाने से देशभर के लाखों घरों में शोक का माहौल है। वे हमारे अतिशय प्रिय, पूर्व प्रधानमंत्री, विलक्षण प्रतिभा से पूर्ण एक राष्ट्रीय नेता और आधुनिक भारत के राजनीतिक विशारद थे।

राष्ट्रपति ने वाजपेयी की पुत्री को लिखा पत्र

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी से लेकर एक बौद्धिक शख्सीयत, एक लेखक से लेकर एक कवि, एक सांसद से लेकर एक प्रशासक और अंत में प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने अपने लंबे और असाधारण राजनीतिक जीवन में असंख्य लोगों के जीवन को कतिपय तरीकों से प्रभावित किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि वे सही मायने में भारतीय राजनीति के नवचेतना पुरुष थे।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में अटलजी दबाव के अंदर भी सभ्यता के एक उदाहरण थे और चुनौतीपूर्ण परिस्थियों में भी फैसला लेने की उनमें काबिलियत थी। 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण, 1999 में कारगिल संकट, उनकी सरकार में किए गए आर्थिक बदलाव और देश के जीडीपी को वृद्धि और विकास के पटरी पर लाने जैसे कदम अटलजी की सरकार की उपलब्धियां रही हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि 2015 में उन्हें भारतरत्न की उपाधि से नवाजा जाना उनके प्रति भारत के प्यार और कृतज्ञता की अभिव्यक्ति थी। इस विराट हृदय वाले महान राजनेता का जाना न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में महसूस किया जाएगा।

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