बिहार की राजनीति पर भी चढ़ा भगवा रंग, मंदिरों की तस्वीर बदलने में लगी सरकार

पटना: हिंदुत्व बीजेपी की राजनीति में आधारशिला रही है. बीजेपी के चुनावी एजेंडे से लेकर जमीनी कार्यवाई तक हिंदुत्व का अहम स्थान है. पूरे देश में एडीए की 20 राज्यों में सरकार है. बिहार में भी लालू का साथ छोड़ विकास पुरुष नितीश कुमार ने बीजेपी का दामन थाम लिया है.जाहिर है कि केंद्र में मोदी सरकार की झलक तो देखने को मिलेगी. बिहार सरकार ने भी मस्जिदों की वोट बैंक को किनारे कर वास्तविक धरातल पर मंदिरों की ओर ध्यान आकर्षित करने का मन बना लिया है.मंदिर

देश की राजनीति का केंद्र बिंदु बन चुके नरेन्द्र मोदी का दबदबा समूचे राजनीतिक पटल पर महसूस किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति में हमेशा से जातिगत समीकरणों को दुरुस्त करने की दिशा में ही कदम उठाए जाते रहे हैं लेकिन अब बदलाव की राजनीति का असर समूचे देश में देखने को मिल रहा है.

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की है कि अब राज्य के विधायक मंदिर और क़ब्रिस्तान की घेराबंदी अपने विधायक फ़ंड मतलब मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना से भी करा सकेंगे. नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में ये घोषणा करते हुए कहा कि राज्य सरकार इस सम्बन्ध में आवश्यक संशोधन जल्द लाएगी.

नीतीश कुमार ने पिछले लोकसभा चुनाव के बाद ही इस सम्बन्ध में घोषणा की थी कि क़ब्रिस्तान के अलावा मंदिर की घेराबंदी भी उनकी प्राथमिकता है लेकिन क़रीब चार साल बाद सरकार ने इस सम्बन्ध में संशोधन की घोषणा की है.

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नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य सरकार की तरफ़ से पहले राज्य के क़रीब 8000 क़ब्रिस्तान की घेराबंदी का कार्यक्रम हर हाल में पूरा किया जाएगा. फ़िलहाल कुछ विधायकों की शिकायत थी कि प्राथमिकता सूची का हवाला देकर स्थानीय ज़िला अधिकारी उनके क़ब्रिस्तान की घेराबंदी के उनके प्रस्ताव को नामंज़ूर कर देते हैं लेकिन नीतीश कुमार की इस घोषणा के बाद राज्य के हज़ारों मंदिरों की घेराबंदी के वर्षों से लम्बित प्रस्ताव की समस्या का समाधान हो जाएगा.

हालांकि विधायक उन्हीं मंदिरों की घेराबंदी का प्रस्ताव दे सकते हैं जो राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड से रेजिस्टर्ड होंगे. लेकिन इस निर्णय से फ़िलहाल सभी पार्टी के सभी वर्गों के लोग राहत की साँस ले रहे हैं.

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