खाप पंचायत को सुप्रीम कोर्ट ने दिखाया आईना, कहा- ‘मियां बीवी राजी तो दूर रहें ‘काजी’
नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी अदालत ने खाप पंचायत पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए साफ-साफ दो टूक शब्दों मे कहा है कि लोकतंत्र में किसी भी व्यक्ति विशेष या संगठन के तुगलकी फरमान की कोई जगह नहीं है। देश संविधान से चलता है, बनावटी रीति-रिवाज और दकियानूसी फरमानों के खिलाफ कड़े कदम उठाने के लिए कोर्ट प्रतिबद्ध है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने साफ कहा कि चाहे परिवार वाले हों, समाज हो या फिर कोई और उनका कोई लेना देना नहीं अगर कोई दो वयस्क शादी करते हैं, कोई भी तीसरा व्यक्ति दखल नहीं दे सकता है। कोई भी व्यक्तिगत रूप से, सामूहिक रूप से या फिर संगठन के तौर पर शादी में दखल नहीं दे सकता।
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कोर्ट ने अपनी मंशा जाहिर करते हुए कहा कि हम लोकतंत्र के संरक्षण के लिए हैं। हम यहाँ कोई कहानी लिखने नही बैठे हैं न ही किसी ज्योतिष की तरह भविष्यवाणी करने कि शादी किन परिस्थितियों में हुई। वयस्क नागरिकों के हितों का संरक्षण करना कोर्ट का कर्तव्य और दायित्व दोनों हैं।
सुप्रीम कोर्ट का यह फरमान हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर के उस बयान को सिरे से ख़ारिज करता नजर आ रहा है जिसमे उन्होंने कहा था कि खाप पंचायतें समाज के लिए उपयोगी हैं।
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कोर्ट ने कहा कि कानून अपने हिसाब से काम करेगा। आपको ऐसे कपल को लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नही है। समाज में सभी जरूरी और गैरजरूरी तथ्यों के लिए कानून है और कानून अपने हिसाब से काम करेगा। कोर्ट ने कहा कि हम केवल उन दो वयस्क लोगों के अधिकारों को लेकर चिंतत है जो शादी कर चुके है।
खाप पंचायत को लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि पंचायत किसी लड़की या लड़के को समन जारी कर शादी करने से नही रोक सकती।
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कोई बालिग़ लड़के-लड़की को शादी करने से रोकता है तो ग़ैरकानूनी है। अगर बालिग शादी करते है तो कोई सोसायटी, कोई पंचायत, कोई व्यक्ति सवाल नहीं कर सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने इशारा किया कि इस मुद्दे पर जल्द ही गाइडलाइन जारी की जा सकती है।