सुप्रीम कोर्ट के सच्चे न्यायाधीशों का समर्थन करे देश : शिवसेना

सुप्रीम कोर्टमुंबई। शिवसेना ने सोमवार को कहा कि राष्ट्र को सुप्रीम कोर्ट के उन चार न्यायाधीशों का समर्थन करना चाहिए, जिन्होंने न्याय और राष्ट्रहित के पक्ष में अपनी आवाज उठाई है। शीर्ष अदालत के चार न्यायाधीशों ने 12 जनवरी को आरोप लगाया था कि सर्वोच्च न्यायालय में सच्चाई और लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है और उन्होंने भारत के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर निशाना साधा था।

शिवसेना ने कहा है, “इस मुद्दे ने एक खुली बहस छेड़ दी है कि कहीं प्रधान न्यायाधीश संवेदनशील राजनीतिक मामलों पर दबाव में तो नहीं होते और कहीं निष्पक्ष न्यायाधीशों को उन मामलों से दूर तो नहीं रखा जाता।”

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ये संवेदनशील मुद्दे क्या हैं, इन पर सवाल उठने लगे हैं और किसने न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति एम.बी. लोकुर और न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर को ऐसा करने के लिए मजबूर किया।

पार्टी के मुखपत्र सामना और दोपहर का सामना के संपादकीय में शिवसेना ने कहा है कि चारों न्यायाधीशों के मीडिया के सामने आने के साथ ही शीर्ष अदालत का रहस्य उजागर हो गया है और अब सभी मुक्त होकर सांस ले सकते हैं।

अपने सहयोगी भाजपा पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने कहा है कि इस तरह की चीजें कांग्रेस नीत संप्रग शासनकाल के दौरान भी होती थीं, तब भाजपा और अन्य दल इस मुद्दे को बड़ी मुखरता से उठाया करते थे और लोकतंत्र व न्यायतंत्र के खतरे का रोना रोते थे।

सेना ने कहा है कि ऐसा डर है कि देश के सामने सच को उजागर करने के लिए अब उन्हें इसका परिणाम भुगतना पड़ सकता है।

शिवसेना ने कहा, “कल उन्हें कांग्रेस के एजेंट के तौर पर पेश किया जाएगा, उसके बाद उनकी बगावत के लिए विदेशी हाथ को जिम्मेदार ठहराया जाएगा और उसके बाद उन्हें नक्सली और कुख्यात घोषित कर दिया जाएगा। कानून का शासन खत्म हो चुका है।”

शिवसेना ने चिह्नित करते हुए कहा, “लोग, जिन्होंने इंदिरा गांधी पर न्यायतंत्र में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया था, अब वे सत्ता में हैं और संवैधानिक पदों के विपरीत उनके कार्य जैसे यह कह रहे हैं कि इंदिरा गांधी एक ‘अत्यंत मानवीय और लोकतांत्रिक’ नेता थीं।”

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प्राचीन रोम और भारत के संदर्भ में न्याय प्रणाली का जिक्र करते हुए संपादकीय में कहा गया है कि न्याय की देवी आंखों पर पट्टी बांधे रहती है और हाथों में तलावार लिए रहती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि न्याय करते वक्त यह नहीं देखा जाता कि उसके सामने कौन है।

पार्टी ने कहा है, “लेकिन चार वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा मीडिया के सामने आने के बाद यह संदेह पैदा हो गया है कि न्याय की देवी अक्सर फैसले देने से पहले राजनीतिक दल या नेता को देखने के लिए तांक-झांक करती है।”

शिवसेना ने कहा है, “सभी को न्याय दिलाने वाले न्यायाधीशों को कोई न्याय देने वाला नहीं है, इसलिए उन्होंने जनता की अदालत में जाने का फैसला किया। यह एक साहसी कदम है और देश के हित में है और देश को उनके साथ खड़े होना चाहिए।”

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