
दिवाली के दूसरे दिन भी दिल्ली-एनसीआर की हवा जहरीली बनी हुई है, जहां घना स्मॉग आसमान को ढक ले चुका है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 345 से 351 के बीच दर्ज किया गया है, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है।
आरके पुरम में AQI 380 तक पहुंच गया, जबकि पंजाबी बाग में 433 और आनंद विहार में 451 जैसी खतरनाक स्तर की रीडिंग मिली हैं। यह स्थिति पटाखों के धुएं, पराली जलाने और मौसमी कारकों से और बिगड़ गई है, जिससे पूरे क्षेत्र में दृश्यता कम हो गई है।
दिल्ली के प्रमुख इलाकों में प्रदूषण का स्तर चिंताजनक बना हुआ है। आईटीओ पर सुबह AQI 361, अक्षरधाम के आसपास 360 और इंडिया गेट क्षेत्र में 362 दर्ज किया गया। वहीं, वजीरपुर (397), द्वारका (353), अशोक विहार (377) और नजफगढ़ (304) जैसे स्थानों पर भी ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी की हवा रही। स्थानीय निवासी शैलेंद्र रे ने मॉर्निंग वॉक के दौरान बताया कि दिवाली के बाद हवा हमेशा खराब हो जाती है, दृश्यता घट जाती है, लेकिन अभी सांस लेने में ज्यादा दिक्कत नहीं हो रही क्योंकि सुबह जल्दी निकलते हैं। हालांकि, लंबे समय तक संपर्क से फेफड़ों और हृदय रोगियों को खतरा बढ़ गया है।
एनसीआर के अन्य शहरों में भी प्रदूषण का प्रकोप फैला हुआ है। गाजियाबाद सबसे प्रभावित रहा, जहां AQI 324 दर्ज हुआ, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में है। नोएडा में 320, हापुड़ में 314, गुरुग्राम में 370, रोहतक में 376, नारनौल में 390, बहादुरगढ़ में 368, भिवाड़ी में 364 और गुजरात के नंदेसरी में 303 तक पहुंच गया। फरीदाबाद (268) और ग्रेटर नोएडा (282) में थोड़ी राहत रही, लेकिन धरूहेरा में 412 जैसी गंभीर स्थिति बनी हुई है। ये आंकड़े सीपीसीबी के 21 अक्टूबर शाम 4 बजे के बुलेटिन पर आधारित हैं, जो अगले 24 घंटों के औसत को दर्शाते हैं।
बढ़ते प्रदूषण को काबू करने के लिए दिल्ली-एनसीआर में GRAP-2 (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) का दूसरा चरण पूरी तरह लागू कर दिया गया है। इस चरण में धूल उड़ाने वाली निर्माण और ध्वंसकारी गतिविधियों पर सख्ती की जा रही है, जिसमें साइटों पर नियमित निरीक्षण और पानी छिड़काव शामिल है। आवश्यक सेवाओं को छोड़कर डीजल जनरेटरों का उपयोग प्रतिबंधित है, अगर बिजली आपूर्ति सामान्य हो। इसके अलावा, सड़कों पर दैनिक मैकेनिकल स्वीपिंग, वाहनों की जांच और कचरा जलाने पर रोक जैसे कदम उठाए जा रहे हैं। कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने 15 अक्टूबर से स्टेज-1 सक्रिय किया था, जो अब स्टेज-2 के साथ जारी है।
मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक, आने वाले दिनों में दिल्ली-एनसीआर को प्रदूषण से राहत मिलने की संभावना कम है। हवा की गुणवत्ता ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ के बीच बनी रहेगी, क्योंकि हवाओं की गति कम है और तापमान गिर रहा है। अगले कुछ दिनों में AQI 300-400 के दायरे में रह सकता है, जो सर्दियों के मौसम में वाहनों के धुएं, पराली जलाने और धूल के कारण आम है। यह स्थिति दो करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर हरित पटाखों की अनुमति दी थी, लेकिन यह समस्या का स्थायी समाधान नहीं है।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) को विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है ताकि आम लोग प्रदूषण के स्तर को आसानी से समझ सकें। 0-50 तक ‘अच्छा’, 51-100 ‘संतोषजनक’, 101-200 ‘मध्यम’, 201-300 ‘खराब’, 301-400 ‘बहुत खराब’ और 401-500 ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। 500 से ऊपर ‘गंभीर+’ माना जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि बाहर कम निकलें, मास्क पहनें और एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।