कैदियों के लिए जन्नत है ये भारतीय जेल, सरकारी नियम तोड़ कर होते हैं सारे काम!

नई दिल्ली: युगों युगों से जेल को प्रताड़ना देने और आजादी के लिए तरसती एक कब्रगाह के रूप मे जाना गया. समाज के असामाजिक तत्वों को अनैतिक कार्यों के लिए सजा एवं सुधारवाद की प्रक्रिया के लिए जेलों की व्यवस्था की जाती रही. काल कोठरी, सजा घर और काला पानी जैसे नाम किसी भी अपराधी में खौफ पैदा करने के लिए आसान शब्द हैं.

जेलों की व्यवस्था

समय के साथ-साथ काफी बदलाव आया है. पहले सुधारवाद और इंसानियत के नाम पर ढील दी गयी जिसकी बदौलत हल्की सी छूट मिलते ही कैदियों ने प्रशासन को ठेंगा दिखाते हुए इसे अपनी ऐश का अड्डा बना दिया जहाँ रहकर वो घर से भी बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं.

हम बात कर रहे हैं श्रीनगर जेल की जो कैदियों को सुविधाएँ देने के लिए वाहवाही बटोर रही है. ये जेल सुरक्षा कारणों से पूरे सिस्टम पर प्रश्नचिन्ह लगती है. सच तो यह है कि यह जेल आतंकियों के लिए जन्नत जैसी है और यहां आतंकियों को इंटरनेट वाले स्मार्टफोन से लेकर कश्मीरी ‘वजवान’ मटन तक सब कुछ उपलब्ध है.

कश्मीर के सेंट्रल जेल में रहने वाले आतंकी पूरे मौज में रहते हैं. यहां इंटरनेट डेटा पैक के साथ स्मार्टफोन से लेकर उनके खान-पान और शौक की हर चीज मिल जाती है. इस जेल में कई खतरनाक आतंकी कैद हैं.

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जेल के सूत्रों के अनुसार इस जेल में रूल बुक का हर नियम-कायदा तोड़ा जा रहा है और राज्य प्रशासन या उच्चाधिकारियों का कोई हस्तक्षेप नहीं दिखता है.

श्रीनगर के महाराजा श्रीहरि सिंह अस्पताल (SMHS) में मंगलवार दोपहर बड़ा आतंकी हमला हुआ. पुलिसवाले 6 आतंकियों को अस्पताल में चेकअप करवाने के लिए लाए थे. फायरिंग के दौरान एक लश्कर आतंकी अबु हंज़ुला उर्फ़ नावेद जट्ट फरार हो गया.

श्रीनगर सेंट्रल जेल में बंद पाकिस्तानी आतंकी नावेद जट्ट के फरार होने पर अचरज नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस जेल में सुरक्षा इंतजामों में जिस तरह की ढील है उससे ऐसा होना ही था.

इसी जेल में कश्मीरी मीडिया को अक्सर सेंट्रल जेल में बंद आतंकी कासिम फकतू उर्फ आशिक फकतू का प्रेस रिलीज मिल जाता है.

यह खतरनाक आतंकी मानवाधिकार कार्यकर्ता एच.एन. वांगचू की हत्या करने के लिए जेल में बंद है.

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सूत्रों के अनुसार जेल में बंद ऐसा ही एक खूंखार आतंकी अपने को बाबा बताता है और उसके दर्जनों भक्त जेल में उससे ताबीज बनवाने आते हैं. कई आतंकी धड़ल्ले से मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं और कश्मीर से लेकर पाकिस्तान तक के अपने तमाम साथियों से बात करते हैं.

अन्य कैदी यहां तक बताते हैं कि कश्मीर में साल साल 2010 की अशांति की पूरी प्लानिंग जेल में ही बैठकर भारत विरोधी खतरनाक इस्लामी अलगाववादी मसरत आलम ने की थी साथ ही मोबाइल फोन से दिशानिर्देश दिया था.

करीब दस साल पहले सीआरपीएफ ने जेल पर छापा डाला था तो उसे मटन-कबाब बनाने के चाकू आदि हथियार और दर्जनों मोबाइल फोन मिले थे. लेकिन उसके बाद भी इस जेल की व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं आया.

हालांकि, जेल सुपरिन्टेंडेंट अहमद राथर इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हैं. उनका कहना हैं कि हम जेल मेन्यू का सख्ती से पालन करते हैं. जेल परिसर के भीतर किसी के मोबाइल फोन इस्तेमाल करने का सवाल ही पैदा नहीं होता है.

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