अयोध्या पर SC को अब जल्दी, तीन घंटे की सुनवाई से मंदिर या मस्जिद पर फैसला

राम मंदिरनई दिल्ली। राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की स्पेशल बेंच आज से सुनवाई करगी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट केस से जुड़े अलग-अलग भाषाओं के ट्रांसलेट किए गए 9,000 पन्नों को देखेगा। वहीँ सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार तीन जजों की बेंच प्रतिदिन 3 घंटे सुनवाई करेगी। देश की राजनीति में उथल-पुथल मचाने वाला राम मंदिर का विवाद करीब 164 साल पुराना है और विवादित ढांचा ढहाए जाने के 25 साल भी पूरे हो गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट की इस स्पेशल बेंच पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर हैं। माना जा रहा है कि डॉक्युमेंट्स का ट्रांसलेशन पूरा हो गया है। सुन्नी वक्फ बोर्ड के मुताबिक डॉक्युमेंट्स ट्रांसलेशन के चलते सुनवाई नहीं टलेगी। साथ ही अदालत ने भी कहा था कि 8 फरवरी के बाद सुनवाई नहीं टलेगी। सबसे पहले ओरिजनल टाइटल सूट दाखिल करने वाले दलीलें रखेंगे। फिर बाकी अर्जियों पर बात होगी।

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जानकारी के लिए बता दें कि प्रतिदिन 3 घंटे की सुनवाई से 30 दिन अन्दर ही सभी पक्षों की सुनवाई पूरी हो जाएगी और 16 मई से गर्मी की छुट्टियां शुरू होने से पहले ही बेंच फैसला सुरक्षित कर लेगी।

बता दें कि, राम मंदिर से जुड़े इस मामले से जुड़े 9,000 पन्नों के दस्तावेज और 90,000 पन्नों में दर्ज गवाहियां पाली, फारसी, संस्कृत, अरबी सहित विभिन्न भाषाओं में हैं, जिसपर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट से इन दस्तावेजों को अनुवाद कराने की मांग की थी। वहीँ साल 2017 दिसंबर में 3 जजों की स्पेशल बेंच ने इस मामले की सुनवाई की थी और 8 फ़रवरी 2018 से सुनवाई करने की बात कही थी।

राम मंदिर मामले में हाई कोर्ट…

गौरतलब है कि, अयोध्या के विवादास्पद ढांचे को लेकर हाई कोर्ट ने 30 सितंबर 2010 में फैसला दिया था। फैसले में कहा गया था कि विवादित जमीन को 3 बराबर हिस्सों में बांटा जाए जिस जगह रामलला की मूर्ति है उसे रामलला विराजमान को दिया जाए। सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए जबकि बाकी का एक तिहाई जमीन का हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया जाए।

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हाईकोर्ट के फैसले के बाद तमाम पक्षों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की गई थी और याचिका सुप्रीम कोर्ट में 7 साल से लंबित है। मामले में मुख्य पक्षकार हिंदू महासभा, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड सहित 16 पक्षकार हैं।

अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। वहीं, दूसरी तरफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल कर दी। इसके बाद इस मामले में कई और पक्षकारों ने याचिकाएं लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई करने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट में इसके बाद से यह मामला पेंडिंग है।

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