गंगा का अस्तित्व बचाने के लिए धरने पर बैठा समाजसेवी

रिपोर्ट- संजय आर्य

हरिद्वार। गंगा की अविरलता और निर्मलता को बनाएं रखने के लिए धर्म नगरी हरिद्वार में गंगा जी में गिर रहे दर्जनो गंदे नालो के विरोध में सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय के बाहर समाज सेवी रामेश्वर गौड़ अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। इस दौरान उन्होंने मुख पर पट्टिका चिपकाकर केंद्र और प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करने वाले कई स्लोगनों से गूंगी बहरी सरकार को जगाने का बीड़ा उठाया हैं।

गंगा की हालत

धर्मनगरी हरिद्वार का मुख्य केंद्र गंगा यू तो यहां सबसे बड़ी आस्था का केंद्र है तो वही गंगा में स्नान करने के लिए मोक्ष की कामना लिए लाखों करोड़ों श्रद्धालु प्रति वर्ष हरिद्वार आकर आस्था की डुबकी लगाते हैं लेकिन हरिद्वार में मोक्षदायनी माँ गंगा की दुर्गति ओर इसके नाम पर करोड़ो रूपये डकार चुकी सामाजिक संस्थाओं के खिलाफ समाज सेवी रामेश्वर गौड़ मौन व्रत कर अनशन कर रहे हैं इस दौरान लगातार रामेश्वर गौड़ को जन समर्थन मिल रहा हैं आज सिटी मजिस्ट्रेट को उन्होंने अपनी मांगों का मांगपत्र भी सौंपा हैं।

वही स्थानीय लोग भी रामेश्वर गौड़ के समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं उनका कहना है की केंद्र सरकार ने सत्ता पर काबिज होने से पहले बड़े बड़े सपने दिखाए थे कि गंगा की हालत में सुधार होगा हरिद्वार में ही हरकी पैड़ी के पास दर्जनों नाले गंगा जी में सीधे जा रहे है लेकिन इस ओर किसी का कोई ध्यान नहीं हैं।

‘गंगा तेरा पानी अमृत’ यह सिर्फ अब एक गीत की लाइन बनकर रह गई है क्योकि अब गंगा के जल में घुल रहा जहर इसको लगातार प्रदूषित कर रहा हैं। गंगा को प्रदूषण मुक्त कराने के सरकार के तमाम दावे खोखले नजर आ रहे हैं संत समाज का कहना है कि अभी गंगा को लेकर काफी काम होने बाकी हैं कलकत्ता तक जाते जाते गंगा जी वर्तमान में भी आचमन योग्य नहीं हैं ऋषिकेश से गंगा जी में गंदे नाले डलने शुरू हो जाते है जो दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं हमें इसको बचाना जरूरी हैं प्रयत्न सरकार काफी कर रही है लेकिन हो कुछ नहीं रहा ये चिंता का विषय हैं।

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भारत सरकार की तमाम योजनाओं पर सवाल खड़े करते हुए अखिल भारतीय साधु महासभा के उपाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने बताया की गंगा अविरल निर्मल बहे स्वच्छ रहे ये हम सबकी प्रथमिकता होनी चाहिए लेकिन वर्तमान परिपेक्ष में धरातल पर कोई काम नहीं हो रहा है सिर्फ भाषण बाजी ओर कागजों तक गंगा की अविरलता ओर निर्मलता सिमटकर रह गयी है।

क्या मोदी सरकार का विजन गंगा सिर्फ बयान और कागजो में तैर रहा है क्या मोदी का मिशन गंगा सिर्फ दिल्ली में बने आलीशान कमरों तक ही सिमट कर रह गया है हरिद्वार में गंगा की हकीकत को देख कर तो यही लगता है गंगा की तस्वीर कब बदलेंगी ये तो बड़ा सवाल है लेकिन गंगा की लगातार बिगड़ रही हालात ने गंगा प्रेमियों को जरूर आहत किया हुआ है।

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