Shri Krishna Janmashtami 2019: जानिए कैसे करें इस जन्माष्टमी का व्रत, जिससे मिल जाये बांके बिहारी की कृपा

भगवान श्री कृष्ण को विष्णु का आठवां अवतार माना गया हैं। संसार का पालन करने वाले बांके बिहारी भगवान के जन्मोत्सव को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। लेकिन इस बार कृष्ण भक्त जन्माष्टमी को लेकर बहुत असमंजस में हैं। कुछ लोग 23 अगस्त को जन्माष्टमी मना रहे हैं तो वहीं कुछ लोग 24 अगस्त को मना रहे हैं।

Shri Krishna Janmashtami

इसलिए जन्माष्टमी पूजन से जुड़ी समस्त शंकाओं के समाधान के लिए हमने बात की आचार्य डॉ. प्रेम शंकर त्रिपाठी से-

आचार्य डॉ प्रेम शंकर त्रिपाठी

वैसे तो पंचांग में सभी शुभ-अशुभ योग दिए रहते हैं। शास्त्रों के अनुसार अशुभ योग में किये गए कार्य कभी भी फलित नहीं होते हैं। इसके उलट विचार करके और शुभ योग में किये गए कार्य आपको फलित होने के साथ साथ भगवान की कृपा भी दिलाते हैं।

इस समय शुरू होगा ज्वालामुखी योग-

अगर अशुभ योग की बात करें तो ज्वालामुखी योग” सबसे ज्यादा अशुभ माना गया है। माना जाता है कि ये अशुभ योग तिथि-नक्षत्र के संयोग से बनता है।

दिनांक 23 अगस्त 2019 को प्रातः 8 बजकर 9 मिनट पर कृतिका नक्षत्र अष्टमी तिथि से मध्य रात्रि में 3 बजकर 47 मिनट तक ज्वालामुखी योग है।

यह योग पुनः 24 अगस्त 2019 को रोहिणी नक्षत्र नवमी तिथि में 8 बजकर 32 मिनट से मध्यरात्रि के बाद प्रातः 4 बजकर 16 मिनट तक रहेगा।

शास्त्रों के अनुसार ज्वालामुखी योग का प्रभाव- 

शास्त्रों में कहा गया है कि 
                                       ” जन्में तो जीवे नहीं, बसे तो उजड़े होय,
                                         नारी पहनो भूषनों, पुरुष विहानो होय।
                                        संग्राम चढ़े जीते नहीं, कीर्ति निष्फल होय,
                                         कुआँ, तालाब जो खनै, तुरतै वारि पराय।”

कैसे करें व्रत और पूजन-  

आचार्य प्रेम शंकर जी के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी  23 अगस्त सप्तमी प्रातः 8 बजकर 9 मिनट पर सूर्य उदय होगा तब शुरू होकर 24 तारीख अष्टमी को प्रातः 8 बजकर 32 मिनट तक रहेगी।

आचार्य जी के अनुसार  23 अगस्त को गृहस्थों को व्रत नहीं रखना है।

कारण-

शास्त्रानुसार सप्तमी विधा अष्टमी में व्रत नहीं रखना चाहिए, इसलिए मध्यरात्रि में भगवान की जन्माष्टमी मनाकर 24 अगस्त को अष्टमी विधा नवमी में व्रत रहें।

सप्तमी अष्टमी व्रत रहने पर पारिवारिक और आर्थिक हानि होती है जबकि इसके उलट अष्टमी नवमी व्रत रहने से शारीरिक, आर्थिक व पारिवारिक लाभ के साथ साथ भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

 

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