कांग्रेस सांसद शशि थरूर, जो ऑपरेशन सिंदूर के तहत एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, ने 27 मई 2025 को पनामा सिटी में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए पहलगाम आतंकी हमले और भारत की जवाबी कार्रवाई पर भावनात्मक और कड़ा बयान दिया।

थरूर ने कहा कि 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की हत्या ने भारत को ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकियों के खिलाफ सटीक और कठोर कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया। उन्होंने कहा, “आतंकियों ने महिलाओं के सामने उनके पतियों को मार डाला और कहा, ‘जाओ, दूसरों को बताओ।’ कुछ महिलाओं ने रोते हुए कहा, ‘आतंकियों ने मुझे भी मार डाला,’ लेकिन आतंकियों ने उन्हें जाने को कहा। हमने उनकी पुकार सुनी। भारत ने फैसला किया कि हमारे महिलाओं के माथे का सिंदूर, जो आतंकियों ने मिटा दिया, उसका रंग आतंकियों के खून से मिलाया जाएगा।”
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक सहित 26 लोग मारे गए थे। आतंकियों ने पर्यटकों को धर्म के आधार पर निशाना बनाया, जिसमें नवविवाहित जोड़े भी शामिल थे। हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली, जिसे भारत लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी मानता है। इस हमले ने देश को झकझोर दिया, खासकर नवविवाहिता हिमांशी नरवाल की तस्वीर, जो अपने पति लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के शव के पास बैठी थी, ने राष्ट्र की संवेदनाओं को झकझोरा।
7 मई 2025 को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों—लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, और हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े—पर सटीक हवाई और मिसाइल हमले किए। इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकी मारे गए। भारत ने जानबूझकर पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को निशाना नहीं बनाया, ताकि युद्ध की स्थिति से बचा जा सके।
थरूर का पनामा में संबोधन
पनामा सिटी में 27-29 मई 2025 के अपने तीन दिवसीय दौरे के दौरान, थरूर ने पनामा की संसद की अध्यक्ष दाना कास्तानेदा और चुनिंदा सांसदों को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “हमने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर तब शुरू किया, जब यह स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तान सरकार पहलगाम हमले के दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही थी। हमने आतंकी ठिकानों पर हमला किया, क्योंकि आतंकी कृत्य को बिना सजा के नहीं छोड़ा जा सकता।” थरूर ने जोर देकर कहा कि भारत युद्ध नहीं चाहता, बल्कि यह आतंकियों को संदेश देना चाहता है कि “तुमने शुरू किया, हमने जवाब दिया। अगर तुम रुको, हम रुकेंगे।”
थरूर ने ऑपरेशन सिंदूर के नाम की प्रतीकात्मकता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने सऊदी अरब के न्यूज चैनल अल अरबिया से कहा, “सिंदूर का रंग खून के रंग से बहुत अलग नहीं है। पहलगाम में आतंकियों ने जो खून बहाया, उसका जवाब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए दिया। यह नाम उन विधवाओं की पीड़ा को दर्शाता है, जिनका सिंदूर आतंकियों ने मिटा दिया।”
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल और इसका उद्देश्य
थरूर के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के सांसद सरफराज अहमद, तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के जीएम हरीश बालयोगी, बीजेपी के शशांक मणि त्रिपाठी, तेजस्वी सूर्या, भुवनेश्वर कलिता, शिवसेना के मिलिंद देवड़ा, और पूर्व अमेरिकी राजदूत तरनजीत सिंह संधू शामिल हैं। यह प्रतिनिधिमंडल अमेरिका, पनामा, गुयाना, ब्राजील, और कोलंबिया का दौरा कर रहा है, ताकि भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति और पहलगाम हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी वैश्विक समुदाय को दी जाए।
प्रतिनिधिमंडल ने 25 मई को न्यूयॉर्क में 9/11 मेमोरियल का दौरा किया और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता का संदेश दिया। थरूर ने कहा, “आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है, और इसे एकजुट होकर लड़ना होगा।” उन्होंने पनामा में भारतीय समुदाय से कहा, “हम विभिन्न राजनीतिक दलों से हैं, लेकिन राष्ट्रीय उद्देश्य में एकजुट हैं।”
पाकिस्तान की भूमिका और भारत का रुख
थरूर ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उन्होंने न्यूयॉर्क में कहा, “पाकिस्तान एक संशोधनवादी शक्ति है, जो भारत के क्षेत्र पर दावा करता है और पारंपरिक साधनों से विफल होने पर आतंकवाद का सहारा लेता है।” उन्होंने TRF के लश्कर-ए-तैयबा से संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने 2023 और 2024 में संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति को TRF के बारे में जानकारी दी थी, लेकिन पाकिस्तान और चीन के दबाव में UNSC के बयान से TRF का नाम हटा दिया गया।
थरूर ने स्पष्ट किया कि भारत युद्ध नहीं चाहता। उन्होंने कहा, “हम अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ाना चाहते हैं और अपने लोगों को 21वीं सदी की दुनिया में ले जाना चाहते हैं। हमने आत्मरक्षा में कार्रवाई की, और हमने इसे जिम्मेदारी के साथ किया।”
प्रधानमंत्री का संदेश और राष्ट्रीय एकता
थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश को दोहराते हुए कहा, “हमारे प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर जरूरी था, क्योंकि आतंकियों ने 26 महिलाओं के पतियों और पिताओं को मारकर उनके माथे का सिंदूर मिटा दिया।” उन्होंने पहलगाम हमले को सांप्रदायिक उकसावा करार देते हुए कहा कि हमले का मकसद धार्मिक आधार पर लोगों को बांटना था, लेकिन भारत ने एकजुट होकर जवाब दिया।
थरूर ने ऑपरेशन सिंदूर की प्रशंसा करते हुए कहा, “यह एक सटीक, सुनियोजित, और गैर-विस्तारवादी कार्रवाई थी। मैंने स्वयं एक लेख में लिखा था कि हमें कठोर लेकिन स्मार्ट तरीके से हमला करना चाहिए, और भारत ने वही किया।”
पनामा दौरा और अगले कदम
पनामा में प्रतिनिधिमंडल ने स्थानीय नेतृत्व, मीडिया, और भारतीय समुदाय के साथ मुलाकात की। थरूर ने गुयाना दौरे की सराहना करते हुए कहा कि वहां के राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली ने भारत के आतंकवाद विरोधी रुख का समर्थन किया और आर्थिक सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई। पनामा के बाद प्रतिनिधिमंडल ब्राजील और कोलंबिया का दौरा करेगा, जहां वे ऑपरेशन सिंदूर और भारत की नीति पर चर्चा करेंगे।