हिंसक हुआ दलितों का प्रदर्शन, एमपी में 4 की मौत के बाद कर्फ्यू, यूपी में तनाव

नई दिल्ली। अनुसूचित जाति/जनजाति (एससी/एसटी) अत्याचार रोकथाम अधिनियम को कमजोर करने को लेकर आपत्ति जताते हुए कुछ अनुसूचित जाति संगठनों के विरोध प्रदर्शन के आह्वान के मद्देनजर सोमवार को पूरा देश आग की लपटों में घिरा हुआ है। कई राज्यों में जुलूस निकाले जा रहे हैं तो कहीं रेल रोकी जा रही है। उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान में दलित संगठनों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें भी हुई। पंजाब में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया और सैकड़ों पुलिस कर्मियों को तैनात कर दिया गया है।

SC-ST Act

भारत बंद के आह्वान पर देश के अलग-अलग शहरों में दलित संगठन और उनके समर्थक प्रदर्शन कर रहे हैं. कई जगह ट्रेनें रोकी गई हैं। इसके अलावा कुछ शहरों में झड़प की घटनाएं भी सामने आई हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एससी/एसटी एक्ट में कई बदलाव हुए थे। केंद्र सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि अदालत में इस मामले पर मजबूती से पक्ष नहीं रखा गया. हालांकि, सरकार ने अब इस मामले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है।

इस हिंसक झड़प में मध्यप्रदेश के मुरैना में फायरिंग की भी खबर है। यहां एक व्यक्ति की मौत हो गई है। जिसके बाद इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया है। अब खबर है कि मरने वालों की संख्या बढ़कर चार हो गई है। वहीं यूपी के गाजियाबाद में रेलवे ट्रैक पर बड़ी तादाद में दलित प्रदर्शनकारी जमा हुए। जिसके चलते इस रूट से आने वाली तमाम ट्रेन रुकी हुई हैं।

हापुड़ में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया है। आरोप है कि भारत बंद के समर्थन में सड़कों पर उतरे लोगों ने पुलिस पर पत्थरबाजी की, जिसके बाद लाठीचार्ज किया गया।

मेरठ में दिल्ली-देहरादून हाइवे पूरी तरह से बंद हो गया है. इसके अलावा 2 बसों को भी आग के हवाले कर दिया गया है. दलित प्रदर्शनकारियों ने मेरठ में कंकरखेड़ा थाने की शोभापुर पुलिस चौकी को फूंक दिया है. इसके अलावा कई वाहनों में भी आग लगाई गई है।

रिपोर्ट्स में कहा गया है कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने सोमवार सुबह अमृतसर जिले में एक ट्रेन को रोकने की कोशिश की, लेकिन रेलवे अधिकारियों के साथ बातचीत के बाद उन्होंने ट्रेन को जाने दिया।

राज्य में दुकानें, शैक्षिक संस्थान व अन्य प्रतिष्ठान बंद हैं।

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पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड की 10वीं व 12वीं कक्षाओं की अंतिम प्रेक्टिकल परीक्षा सोमवार को होनी निर्धारित थी, लेकिन अब इसे 11 अप्रैल को आयोजित किया जाएगा।

विभिन्न दलित संगठनों द्वारा पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन के आह्वान के बाद विभिन्न दलित संगठन अधिनियम को कमजोर करने के लिए खिलाफ जिलों में अधिकारियों को ज्ञापन सौंपेंगे।

कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित होने की संभावना है।

पंजाब सरकार ने सोमवार को होने वाले विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर एहतियाती उपाय के तौर पर रविवार को सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने का आदेश दिया था।

पंजाब में सभी राज्यों की तुलना में सबसे अधिक दलित आबादी है। राज्य की 2.8 करोड़ आबादी में 32 फीसदी दलित हैं।

एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाने से रोकने के लिए राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं रविवार शाम 5 बजे से सोमवार शाम तक बंद कर दी गई है, जबकि सभी सार्वजनिक व निजी परिवहन सेवाएं भी बंद कर गई हैं।

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने रविवार शाम को यहां शीर्ष पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की।

कानून व व्यस्था बनाए रखने के लिए 12,000 अतिरिक्त पुलिस कर्मियों की तैनाती के साथ ही रैपिड एक्शन फोर्स की चार और सीमा सुरक्षा बल की चार बटालियनों को सोमवार को ड्यूटी पर तैनात किया गया है।

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मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने प्रदर्शनकारियों से कानून व व्यवस्था हाथ में नहीं लेने का आग्रह किया और साथ ही इराक में मारे गए भारतीयों के सोमवार को अमृतसर पहुंचने वाले पार्थिव अवशेषों को बिना किसी बाधा के उनके पैतृत गांवों में पहुंचने देने की अपील की है।

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार पहले ही सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ एक समीक्षा याचिका दायर करने का अपना निर्णय घोषित कर चुकी है। केंद्र सरकार ने एससी/एसटी समुदाय से याचिका पर अंतिम निर्णय आने तक अपना विरोध प्रदर्शन रोकने की अपील की है।

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