SC– ST एक्ट में संशोधन के खिलाफ सड़कों पर उतरा दलित समुदाय, भारत बंद का ऐलान

नई दल्ली। एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दलित संगठनों ने सोमवार को भारत बंद का एलान किया है। दलित सगंठनों के लोग सड़कों पर उतर आए हैं।

एससी-एसटी एक्ट

विरोध में सगंठनों के लोगों ने बिहार और ओडिशा में ट्रेनें रोकीं और सड़कों पर जाम लगा दिया। सगंठन के लोग लगातार विरोध में अपनी आवाज उठा रहे हैं।

दलित सगंठनों की मांग है कि इस एक्ट में किए गए संशोधन को वापस लिया जाए और इसे पहले की तरह ही लागू किया जाए। अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 को फिर से पहले की तरह ही चलाया जाए। इसमें बदलाव की कोई आवश्यकता नहीं हैं। बता दें कि पहले इस एक्ट के तहत शिकायत पर तुरंत गिरफ्तारी का नियम था।

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सगंठनों ने धमकी भरे लहजे में कहा कि अगर यह एक्ट पहले की तरह नहीं शुरू हुआ तो आंदोलन उग्र होगा। विरोध को देखते हुए सरकार ने लोगों की सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए है। लगातार जारी विरोध को देखते हुए सीबीएसई ने पंजाब में होने वाली 10वीं और 12वीं की परिक्षाओं को रद्द कर दिया है।

  • पंजाब में स्कूल-कॉलेज, बसें और इंटरनेट बंद, सीबीएसई 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं टाली गईं। पटियाला में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनें रोकीं।
  • बिहार में आरा, भागलपुर और अररिया के फोरबिसगंज में ट्रेनें रोकी गईं। यहां वामपंथी संगठन भी बंद का समर्थन कर रहे हैं।
  • राजस्थान में भरतपुर में महिलाएं हाथों में लाठियां लेकर सड़कों पर प्रदर्शन करने उतरीं।
  • ओडिशा में ट्रेनें रोकी गईं।

क्या है SC– ST एक्ट 1989

यह अधिनियम अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ हो रहे अपरधों से निजात पाने के लिए किया गया था। यह अधिनियम 11 सितंबर, 1989 को अधिनियमित किया गया था जबकि 30 जनवरी, 1990 से जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे भारत में लागू किया गया।

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इस अधिनियम का स्पष्ट उद्देश्य अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति समुदाय को सक्रिय प्रयासों से न्याय दिलाना था ताकि समाज में वे गरिमा के साथ रह सकें। उन्हें हिंसा या उत्पीड़न का भय न सताए।  बंधुआ मजदूरी और बाल श्रम से निजात पाने के लिए यह अधिनियम बनाया गया था।

वहीँ इस अधिनियम के तहत शिकायत करने पर आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी का नियम था जोकि शुरू से ही विवादों का विषय बना हुआ था। जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने ख़त्म करने का फैसला सुनाया है। जिसके विरोध में दलित समुदाय अपना विरोध प्रकट कर रहे हैं।

ये है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

  • सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को जारी अपने फैसले में एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए इसके तहत तत्काल गिरफ्तारी या आपराधिक मामला दर्ज करने पर रोक लगा दी थी।
  • कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दे दी थी।
  • केंद्रीय मंत्रियों रामविलास पासवान और थावरचंद गहलोत की अगुआई में एससी-एसटी सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर विरोध दर्ज करवाया था।
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