SBI ने अपने ग्राहकों को दिया बड़ा तोहफा, अब नही देनी होगी…

देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपने ग्राहकों को बड़ा तोहफा दिया है। एसबीआई ने लोन की ब्याज दरें घटाने का ऐलान किया है। छोटी अवधि की एमसीएलआर दरें  0.05 प्रतिशत से 0.10 फीसद तक घट गई हैं। अब एसबीआई की दर घटकर 6.65 प्रतिशत पर आ गई है। बैंक का दावा है कि मौजूदा समय में उनकी एमसीएलआर दरें देश में सबसे कम हैं। ये नई दरें 10 जुलाई से लागू होंगी।

अब ग्राहकों को 30 साल के लिए लिए गए 25 लाख रुपए के लोन पर एमसीएलआर के तहत मासिक किस्त करीब 421 रुपए घट जाएगी। इसी तरह ईबीआर व आरएलएलआर के तहत मासिक किस्त 660 रुपए घट जाएगी, लेकिन यह फायदा नए ग्राहकों के साथ साथ सिर्फ उन्हीं ग्राहकों को मिलेगा, जिन्होंने अप्रैल 2016 के बाद लोन लिया है। क्योंकि उसके पहले लोन देने के लिए तय मिनिमम रेट बेस रेट कहलाती थी। यानी इससे कम दर पर बैंक वोन नहीं दे सकते थे।

एसबीआई के जारी वक्तव्य में कहा गया है कि एमसीएलआर में यह कटौती तीन माह तक के लिए दिए जाने वाले कर्ज पर लागू होगी। इसका मकसद कर्ज उठाव और मांग को बढ़ावा देना है।  एमसीएलआर में की गई इस कटौती के बाद तीन माह तक की अवधि के कर्ज पर बैंक की ब्याज दर घटकर 6.65 प्रतिशत वार्षिक रह जाएगी। यह दर बैंक की बाहरी बेंचमार्क आधारित ब्याज दर (ईबीएलआर) के बराबर हो गई है। 

बता दें इससे पहले 10 जून को एसबीआई की एमसीएलआर दरें 0.25 प्रतिशत घटकर 7 फीसद पर आ गई थी।आरबीआई ने 22 मई को रेपो रेट को 0.40 फीसद घटकर 4 फीसद कर दिया था। इसके बाद पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक ने रेपो और एमसीएलआर से जुड़ी अपनी लोन दरें पहले ही घटा दी हैं।

एसबीआई एक्सटर्नल बेंचमार्क लिंक्ड लेंडिंग रेट (ईबीआर) और रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (आरएलएलआर) की दरें भी घटा चुका है। दोनों दरों में एक जुलाई से 0.40 प्रतिशत की कटौती लागू हुई है। अब सालाना ईबीआर 7.05 प्रतिशत से घटकर 6.65 प्रतिशत पर आ गई है। आरएलएलआर 6.65 प्रतिशत से घटकर 6.25 प्रतिशत पर आ गई है।

चित्रकूट की पहाड़ियों पर करीब 50 क्रशर चलते हैं. भुखमरी और बेरोजगारी की मार झेल रहे यहां के कोल समाज के लिए यही रोजी रोटी का सहारा है. इनकी गरीबी का फायदा उठाकर बिचौलिये और ठेकेदार बच्चियों का शोषण करते हैं. आज तक की टीम पहुंची तो कोई बोल नहीं रहा था. सब डरीं हुई थीं. खदानों में काम करने वाली ज्यादातर लड़कियों की उम्र 10 से 18 के बीच होती है. लड़कियों की मेहनत-मजदूरी के बावजूद उन्हें तब तक मेहनताना नहीं मिलता, जब तक कि वो ठेकेदार और उसके साथियों की बात मानने के लिए राजी न हो जाएं.

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