रोहिंग्या मुसलमानों से परेशान हुई सरकार, राहत सामग्री के साथ बांटे जा रहे…

रोहिंग्या मुस्लिमढाका: म्यांमार में हिंसा के बाद से ही रोहिंग्या मुस्लिम दूसरे देशों में शरण के लिए बसते जा रहे हैं। बांग्लादेश में भी लाखों रोहिंग्या मुस्लिमों को सहारा दिया। लेकिन अब ये उनकी लिए मुश्किल की वजह बनते जा रहे हैं। इनको एक तरफ राहत सामग्री बांटी जा रही है तो दूसरी कंडोम बांटे जा रहे हैं। इसकी वजह इनकी बढ़ती जनसंख्या है।

म्यांमार से आए रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए बांग्लादेश की सरकार चिंतित है। रोहिंग्या मुस्लिमों की बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण के उपाय खोजने शुरू कर दिए हैं।

बांग्लादेश सरकार के अनुसार अभी तक चार लाख बीस हजार के करीब रोहिंग्या शरणार्थी आ चुके हैं। इनमें से करीब 70 हजार के करीब महिलाएं गर्भवती हैं। सरकार को डर सता रहा है कि अगर जल्द दखल न दिया गया तो रोहिंग्या शरणार्थियों की जनसंख्या देश के लिए समस्या बन जाएगी।

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इस बारे में बांग्लादेश सरकार के एक मंत्री ने को कहा कि रोहिंग्या मुस्लिम के बीच परिवार नियोजन अभियान चलाया जाएगा। म्यांमार के जातीय अल्पंसख्यक नागरिकों के बड़े पैमाने पर बांग्लादेश में दाखिल होने के बाद इन शरणार्थियों की जनसंख्या में तेजी से बढ़ोतरी की आशंका के बीच मंत्री ने यह बयान दिया है।

अधिकारियों ने बताया कि रोहिंग्या समुदाय को अपने परिवार का आकार छोटा रखने के लिए प्रेरित करने की योजना तैयार की जा रही है। उन्हें जन्म नियंत्रण गोलियां, कंडोम और अन्य गर्भ निरोधक दिए जा रहे हैं ताकि वे परिवार नियोजन के साथ ही यौन संचारी रोगों की चपेट में आने से बच सकें।

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बांग्लादेश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मोहम्मद नसीम ने बताया, ‘‘यौन संचारी रोगों एवं जन्म नियंत्रण के तौर-तरीकों के बारे में रोहिंग्या समुदाय के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए हमने अब तक छह मेडिकल टीमें बनाई हैं।’’

अधिकारियों और विशेषज्ञों ने बताया कि यह पहल अहम है, क्योंकि पिछड़ेपन के शिकार रोहिंग्या समुदाय में प्रजनन दर अधिक है, जबकि जन्म नियंत्रण उपायों के बारे में उन्हें कुछ खास पता नहीं है।

मंत्री ने यह बयान ऐसे समय में दिया है जब संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने कहा कि 25 अगस्त को शरणार्थियों के आने का सिलसिला हाल में शुरू होने के बाद से दक्षिण-पश्चिमी बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में अस्थायी रोहिंग्या मुस्लिम शिविरों में तैनात दाइयों ने कम से कम 200 बच्चे पैदा होते देखा है।

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