प्रोफेसर शाओकी ने बताया हिस्ट्रोस्कोपी का महत्व, पीड़ित दंपतियों के लिए आशा की किरण है यह सर्जरी

लखनऊ। हिस्ट्रोस्कोपी पर आधारित एक अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप के लिए अजंता हॉस्पिटल और आईवीएफ सेंटर पर रविवार का दिन लगभग सौ प्रसूति रोग विशेषज्ञों के लिए जानकारी भरा रहा। खास बात ये भी रही कि मिस्त्र (इजिप्ट) से प्रोफेसर ओसामा शाओकी जिन्हें किंग ऑफ़ हिस्ट्रोस्कोपी भी कहा जाता है। उन्होंने अपने अनुभव इन डॉक्टरों के साथ साझा किए।हिस्ट्रोस्कोपी

ये दो दिवसीय कार्यशाला इंडियन एसोसिएशन ऑफ़ गाइनाकालोजिकल एंडोकोपिस्ट के तत्वावधान में आयोजित की गई।

हिस्ट्रोस्कोपी उन दंपतियों के लिए एक आशा की किरण बन कर आई है जिनके लिए लगातार गर्भपात और बांझपन ने बच्चा पैदा होने के अरमान को एक सपना बना दिया था। हिस्ट्रोस्कोपी गर्भाशय के छिद्रों को सीधे तौर पर परखने का सबसे बेहतरीन और एकमात्र साधन है।

हिस्ट्रोस्कोपी का इस्तेमाल गर्भाशय में गड़बड़ी को दूर करना और इसके निदान में किया जाता है। हिस्ट्रोस्कोपी का सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये एक तरह का नोट्स(नैचुरल ओरिफाइस ट्रांसल्युमिनल एंडोस्कोपिक सर्जरी) और बिना चीरफाड़ के होने वाला ऑपरेशन है जिसमें न तो अस्पताल में रूकने की जरूरत होती है और न ही एक दिन से ज्यादा समय लगता है।

इसको डे-केयर सर्जरी भी कहा जाता है। हिस्ट्रोस्कोप एक तरह का हल्का टेलिस्कोप होता है जो गर्भाशय में योनि के माध्यम से डाला जाता है। दर्द निवराण के लिए इस प्रक्रिया में जनरल या फिर लोकल एनस्थीसिया दिया जाता है।

इस मौके पर आईवीएफ विशेषज्ञ डाॅक्टर गीता खन्ना ने बताया कि ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि हिस्ट्रोस्कोपी गर्भाशय के छिद्रों को सीधे तौर पर परखने का बेहतरीन साधन तो है ही साथ ही इसमें संग्रहित हिस्टोलॉजिकल बायप्सी के नमूने भी हासिल करने में मदद मिलती है। ये ओपीडी (ऑफिस) प्रक्रिया में की जा सकती है ताकि बांझपन, लगातार गर्भपात और गर्भाशय से रक्तस्त्राव की गुत्थी सुलझाई जा सके।

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इसके इस्तेमाल से अनियमित एचएसजी और ट्रांसवैजाइनल अल्ट्रासोनोग्राफी के विषकर्ष परिणाम का भी पता लगाया जा सकता है। प्रक्रिया की बाद जल्दी ही मरीज को घर जाने दिया जाता है। हिस्ट्रोस्कोपी की मदद से गर्भाशय के जटिल ऑपरेशन जैसे गर्भाशय छिद्र चिपकाव(जोकि संक्रमण अथवा ऑपरेशन के बाद हो जाता है), गर्भाशय पट का अलगाव, गर्भाशय छिद्रों में पॉलीप्स व मियोमल के उभराव को हटाना और सीयूटी और आईसीयूडी की कमी व बाहरी तत्वों को दूर किया जा सकता है।

इतना ही नहीं जिन मरीजों को मासिक के दौरान अधिक खून बहने की शिकायत हो जाती है उनके लिए लेजर तकनीक से इंडोमैटीरियल गर्भाशय रेखा को भी हिस्ट्रोस्कोपी के माध्यम से नष्ट किया जाता है।

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अंत में अपने धन्यवाद ज्ञापन में डॉक्टर गीता खन्ना ने बताया कि डॉक्टर ओसामा शॉओकी को हिस्ट्रोस्कोपी का जादूगर भी कहा जाता है। अगर किसी अभ्यर्थी को हिस्ट्रोस्कोपी में महारथ हासिल करनी हो तो उनको डॉक्टर शॉओकी जैसे ग्लोबल ट्रेनर की शरण में आना चाहिए जिनका टेडमार्क ही है सीखो और हिस्ट्रोस्कोपी से प्यार करो। उन्होंने आगंतुकों से आशा जताई कि इस वर्कशॉप से कुछ सीखने को जरूर मिलेगा।

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