पुजारियों की शादी पर खड़ा हुआ बड़ा बखेड़ा, आलोचनाओं से घिरा तीन लाख का ऐलान

पुजारियों की मददनई दिल्ली। तेलंगाना में तंगहाली के कारण एकांत में जीवन व्यतीत कर रहे पुजारियों की मदद के लिए बाह्मण कल्याण संगठन ने एक योजना तैयार की। इस योजना के तहत पुजारियों के साथ शादी करने वाली महिला को तीन लाख रुपए की रकम देने की घोषणा की गई। इस घोषणा के बाद से ही लोगों के इस कदम पर सकारात्मक और नकारात्म विचार सामने आने लगे हैं।

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ख़बरों के मुताबिक़ अपने फैसले के समर्थन में तेलंगाना ब्राह्मण कल्याण संगठन का कहना है कि पुजारियों को आर्थिक तंगहाली के चलते शादी के लिए दुल्हन ढूंढने में परेशानी हो रही है, और इसलिए उन्हें वित्तीय सहायता देने की घोषणा की गई है।

बता दें तेलंगाना सरकार ने अपने 2016 के बज़ट में ब्राह्मणों के कल्याण के लिए 100 करोड़ रुपये रखे हैं।

इस विषय पर उच्च न्यायालय की वकील रचना रेड्डी का कहना हैं, “यह योजना हिंदू विवाह अधिनियम का उल्लंघन करती है।”

सामाजिक कार्यकर्ता देवी कहती हैं, “इस योजना से ऐसा लग रहा है कि पुजारियों को दहेज दिया जा रहा है।”

पुजारी ग़रीब हो सकते हैं, हालांकि, परिषद के इस फ़ैसले की समाज के कुछ वर्गों में आलोचना की जा रही है।

सामाजिक विकास परिषद की निदेशक कल्पना कन्नाभिरन के अनुसार, “इस तरह के फ़ैसले संवैधानिक भावना के अनुरूप नहीं हैं और परिषद प्रबंधन के निर्देशों के पीछे अपने फ़ैसले को छुपाने की कोशिश कर रही है।

उन्होंने इस मामले पर सवालिया निशान लगाते हुए प्रश्न किया, “किसी की शादी राज्य की जिम्मेदारी कैसे हो सकती है? अगर कोई अकेला रह रहा हो तो क्या यह सरकार की समस्या है?”

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इतना ही नहीं उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि “क्या शादियां बगैर पैसे के नहीं करायी जा सकतीं।”

उन्होंने कहा कि विवाह से संबंधित इस मसले में आर्थिक मदद देकर राज्य के केवल एक वर्ग का ही हित देखा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार, समाज के पिछड़े वर्गों के लिए शिक्षा और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए कल्याणकारी उपायों की ज़रूरत है न कि उन लोगों के लिए जो इस परिधि में नहीं आते।

कल्पना का मानना है कि इस तरह की योजनाएं गिरते सामाजिक प्रचलन को दर्शाने के साथ ही समाज में जाति व्यवस्था की सामंती नींव को मज़बूत करती हैं।

वहीं ब्राह्मण परिषद के अध्यक्ष केवी रमणाचारी कहते हैं, “मंदिर और संस्कृति तभी चलते रहेंगे जब तक पुजारी मौजूद हैं और फ़ैसले से यह समूचा समूह लाभान्वित होगा।”

“महा ब्राह्मण संघम” तेलंगाना के मुख्य सचिव अवधानुला नरसिम्हा शर्मा कहते हैं, “ग़रीब ब्राह्मणों की मदद करने और उनके कल्याण के साथ ही संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के फ़ैसले ज़रूरी हैं।”

इन सभी सकारात्मक और नकारात्मक विचारों के बीच ब्राह्मण परिषद ने एक सप्ताह के भीतर पुजारियों के लिए तैयार की गई इस योजना का पूरा ब्यौरा एक सप्ताह में पेश करनी की बात कही।

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