
उन्नत टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) भारतीय सेना के लिए एक गेम-चेंजर साबित होने वाली स्वदेशी 155 मिमी/52 कैलिबर हॉवित्जर तोप है। डीआरडीओ के आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (ARDE) ने भारत फोर्ज, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स, और अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर इसे 2012 से विकसित किया है।

यह तोप रेगिस्तान से लेकर सियाचिन की बर्फीली चोटियों तक हर भूभाग में प्रभावी है। आइए, 10 प्रमुख बिंदुओं में इसकी खासियतें समझें:
- विश्व-स्तरीय डिज़ाइन: ATAGS 155 मिमी/52 कैलिबर हॉवित्जर है, जिसे डीआरडीओ ने 2012 में शुरू किया। यह विश्व की सबसे उन्नत तोपों में से एक है, जो भारतीय सेना के पुराने तोपखाने को बदलने के लिए बनाई गई है।
- लंबी मारक क्षमता: इसकी अधिकतम रेंज 48 किमी (हाई एक्सप्लोसिव बेस-ब्लीड गोला-बारूद के साथ) है, जो 2017 में पोखरण में विश्व रिकॉर्ड बना चुकी है। यह अन्य समकालीन तोपों से आगे है।
- तेज़ फायरिंग: ATAGS 2.5 मिनट में 10 गोले या बर्स्ट मोड में 60 सेकंड में 5 राउंड दाग सकती है, जो इसे बेजोड़ बनाता है।
- हर मौसम में तैनाती: रेगिस्तान, पहाड़, और बर्फीले क्षेत्रों में प्रभावी। सिक्किम में 15,500 फीट की ऊंचाई पर और राजस्थान के रेगिस्तान में सफल परीक्षण किए गए।
- स्वचालित प्रणाली: इसमें ऑल-इलेक्ट्रिक ड्राइव है, जो शेल लोडिंग, रैमिंग, और गन डिप्लॉयमेंट को स्वचालित करता है, जिससे रखरखाव कम और विश्वसनीयता अधिक होती है।
- स्व-प्रणोदन क्षमता: सहायक पावर यूनिट (APU) के साथ, इसमें ऑटोमोटिव सिस्टम और हाइड्रोलिक ट्रांसमिशन है, जो गतिशीलता और तैनाती को बढ़ाता है।
- प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष फायरिंग: ऑप्ट्रॉनिक मोड के साथ 1.5 किमी तक प्रत्यक्ष और 48 किमी तक अप्रत्यक्ष फायरिंग। इसमें डे कैमरा, थर्मल इमेजिंग, और लेजर रेंज फाइंडर शामिल हैं।
- मजबूत रिकॉइल सिस्टम: 100 से अधिक निरंतर रिकॉइल और रन-आउट चक्रों के साथ डिज़ाइन, जो गतिशील परिस्थितियों में स्थिरता सुनिश्चित करता है।
- ACCCS के साथ एकीकरण: भारतीय सेना के आर्टिलरी कॉम्बैट कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (शक्ति) के साथ संगत, जो प्रक्षेप पथ गणना और गोपनीय संचार को स्वचालित करता है।
- 307 यूनिट्स का ऑर्डर: मार्च 2025 में भारतीय सेना ने 307 ATAGS का ऑर्डर दिया, जिसे भारत फोर्ज (60%) और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स (40%) पांच साल में बनाएंगे। अनुबंध मूल्य लगभग ₹7,000 करोड़ है।
ATAGS की यह खासियतें इसे भारतीय सेना की तोपखाने की रीढ़ बनाती हैं, जो ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत स्वदेशी तकनीक का शानदार उदाहरण है।