प्रदोष व्रत: शिव के साथ-साथ शनिदेव को भी करें प्रसन्न, इस तरह रखें व्रत

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर महीने में प्रदोष व्रत मनाया जाता है। ऐसा मानना है कि इस दिन भक्ति से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। यह व्रत हर महीने दो बार आता है। इस महीने का दूसरा प्रदोष व्रत आज यानी कि 22 सितंबर को रखा जा रहा है। आइए जानते हैं इस व्रत से जुड़ी कथा।

प्रदोष व्रत

महीने में दो बार पड़ने वार पड़ने वाला प्रदोष व्रत एक शुक्ल पक्ष को तो दूसरा कृष्ण पक्ष को। इतना ही नहीं इस व्रत का नाम दिन के अनुसार बदल भी जाता है।

सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोषम या चन्द्र प्रदोषम के नाम से जाना जाता है। और मंगलवार को पड़ने वाले व्रत को भौम प्रदोषम के नाम से जाना जाता है। वहीं शनिवार को इस व्रत को शनि प्रदोषम के नाम से जाना जाता है। इस बार यह व्रत शनिवार को पड़ा है तो इस व्रत का नाम शनि प्रदोषम है।

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प्रदोष व्रत का महत्व

इस व्रत को और किसी भी व्रत की तुलना में ज्यादा लाभदायक और फलदायक माना जाता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने का विधान है। इस दिन जो व्यक्ति सच्चे दिल से पूजा करता है। उसके सभी पापों का नाश और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन यह व्रत रखने से शिव भगवान का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही आपकी हर मनोकामना पूरी होती है।

अलग-अलग वार (सप्ताह का दिन) के लाभ

  • रविवार के दिन व्रत रखने से अच्छी सेहत एवं उम्र लम्बी होती है।
  • सोमवार के दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाऐं पूर्ण होती है।
  • मंगलवार के दिन व्रत रखने से बीमारीयों से राहत मिलती है।
  • बुधवार के दिन प्रदोष व्रत रखने से सभी मनोकामनाऐं एवं इच्छाऐं पूर्ण होती है।
  • वृहस्पतिवार को व्रत रखने से दुश्मनों का नाश होता है।
  • शुक्रवार को व्रत रखने से शादीशुदा जिंदगी एवं भाग्य अच्छा होता है।
  • शनिवार को व्रत रखने से संतान प्राप्त होती है।

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पूजा का सही समय

सभी शिव मन्दिरों में शाम के समय प्रदोषम मंत्र का जाप किया जाता है।

 

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