
पितृ पक्ष शुरू हो चुका है। जो 9 अक्टूबर तक चलेगा। इसके खत्म होने के ठीक बाद नवरात्र शुरू हो जाएगा। इस दिनों में अपने पितरों को शांत करने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जाते हैं। हम कई बार अपने पितरों के श्राद्ध का दिन भूल जाते हैं। हमे नहीं याद रहता है कि हम उनका श्राद्ध कब करें। ऐसे में यह समस्या होती है कि तिथि के याद ना होने के कारण हम अपने पितरों का श्राद्ध कब करें। इसलिए आज हम आपको इस दुविधा से निपटने का एक उपाय बताएंगे।
यदि तिथि याद न हो तो पितृ विसर्जनी अमावस्या जो इस साल 8 अक्टूबर को है इस दिन ज्ञात-अज्ञात पितरों का एक साथ श्राद्ध किया जा सकता है। लेकिन इसमें भोजनांश या मिठाई सोलह अंशों में निकलेगी। इससे समस्त पितरों की तृप्ति होगी। और आपको उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होगा।
आप प्रतिदिन दूध और मीठा अपने पितरों के नाम पर निकाल दें । इसे कौओं, गाय, कुत्ते या चीटियों को खिला दें।
हर रोज घर में पितरों के नाम पर धूप अवश्य दें। इसके लिए जलते हुए कंडे यानी उपले पर सब्जी-पुड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े अर्पित करते हैं। दीपक जलाएं, हार-फूल चढ़ाएं।
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किसी गरीब को काले कंबल का दान करें।
किसी गौशाला में हरी घास का दान करें।
शिवलिंग पर जल और काले तिल चढ़ाएं।
पहली रोटी गाय को और अंतिम रोटी कुत्ते को खिलाएं।
ये सभी उपाय करने से पितृ दोष और कालसर्प दोष का बुरा असर भी खत्म हो सकता है। धन संबंधी कामों में आ रही परेशानियां दूर हो सकती हैं। पितर देवताओं की कृपा से दुर्भाग्य से मुक्ति मिल सकती है।