मीडिया पर ‘उपहार’ की सियासी आंच में झुलस रहा ‘मामा’ का राज्य, कमलनाथ ने भी लगा दी मुहर

भोपाल। चुनावी तपिश में तप रहे मध्यप्रदेश में जीत हासिल करने के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी दल जहां हर दांव-पेच अपना रहे हैं, वहीं इसकी आंच अब ‘मीडिया’ पर भी पड़ने लगी है।

कमलनाथ

चुनावी समर में साथ देने के लिए मीडिया जगत से जुड़े लोगों को तरह-तरह की सुविधाएं और उपहार में महंगी कार दिए जाने के कथित आरोप लग रहे हैं।

विधानसभा चुनाव से पहले मीडिया जगत से जुड़े कुछ लोगों पर कथित रूप से आरोप लगे हैं कि उन्हें मुंबई की एक कंपनी के जरिए सरकार से जुड़े लोगों द्वारा ‘कार’ खरीदने के लिए आर्थिक मदद दी गई है। सोशल मीडिया पर वायरल हुई इस खबर ने मीडिया जगत में हलचल ला दी है।

कई लोगों ने इस पर ऐतराज जताया और सरकार से इस बात का खंडन करने की मांग की, लेकिन सरकार और सत्तापक्ष की ओर से कोई सफाई देने सामने नहीं आया है।

बीते रोज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी इशारों-इशारों में मीडिया पर लगे आरोपों पर अपनी मुहर लगा दी। संवाददाताओं ने कांग्रेस में टिकट पाने के लिए हुई सौदेबाजी को लेकर कमलनाथ से सवाल पूछा कि कांग्रेस द्वारा इंदौर में उम्मीदवार बनाए गए संजय शुक्ला ने किसी नेता को फॉरच्यूनर कार दी है।

इस पर कमलनाथ ने कहा, “मुझे नहीं पता किसने किसे क्या दिया है। मगर हां, इतना जानता हूं कि भाजपा ने कुछ लोगों को गाड़ी दी है, आप भी जानते हैं, कार पाने वाले आप लोगों के कुछ साथी भी हैं।”

कमलनाथ के इस जवाब पर उनके साथ बैठीं कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी, नरेंद्र सलूजा सहित अन्य नेता ठहाके लगाने लगे और आगे की बात कहे बिना चल दिए।

वहीं इस मामले के तूल पकड़ने पर कमलनाथ ने एक बयान जारी कर सफाई दी है। उन्होंने कहा, “मैंने कहा था कि आरोप तो लगते रहते हैं, प्रमाण हों तो मुझे दीजिए, झूठे आरोप तो कुछ लोगों ने मीडिया पर भी लगाए हैं।” जो वीडियो सामने आया है, उसमें सीधे तौर पर कमलनाथ मीडिया पर चुटकी ले रहे हैं और नेता ठहाके लगा रहे हैं।

राजनीतिक विश्लेषक गिरिजा शंकर का कहना है कि राज्य में विपक्ष की सच्ची भूमिका तो मीडिया ही निभा रहा है। इस जगत से जुड़े लोगों पर कथित रूप से आरोप लगे हैं तो यह जिम्मेदारी आरोप लगाने वाले की है कि वह प्रमाण भी दे।

जहां तक कमलनाथ की बात है, वे प्रदेश के नेता हैं नहीं, उन्हें राज्य की राजनीति की जानकारी नहीं है। उन्हें जो बता या कह दिया जाता है, उस पर अपनी राय दे देते हैं। कमलनाथ सत्यता का पता लगाना भी उचित नहीं समझते। यह दुखद है।

वहीं भाजपा ने कमलनाथ के बयान पर तंज कसा है। भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कमलनाथ के बयान पर कहा, “आपातकाल में कमलनाथ ने जिस चौकड़ी में शामिल होकर संविधान की हत्या की, लोकतंत्र की हत्या की, प्रेस पर हमला बोला, उस मानसिकता को आज फिर उजागर कर रहे हैं। कमलनाथ के बयान ने राज्य के मीडिया और पत्रकारिता को ही अपमानित नहीं किया है, बल्कि समाज को अपमानित करने का प्रयास किया है।”

पत्रकारिता जगत से जुड़े लोग नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहते हैं कि राज्य सरकार ने आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले ही कई लोगों को सरकारी मकान आवंटित कर दिए। भाजपा के कई नेताओं को मीडिया कोटे से मकान दिए गए। कई न्यूज वेबसाइटों को लाखों, करोड़ों के विज्ञापन दिए गए, यह तो जग जाहिर है।

अब नए आरोप लगे हैं। लिहाजा, उन पत्रकारों को यह सार्वजनिक करना चाहिए कि अगर उन्होंने कार खरीदी भी है तो क्या खुद या परिवार के किसी सदस्य ने चेक दिया या किसी और ने।

‘चाणक्य’ की छतरी में छेद हुआ, तो शुरू हो गई इस्तीफों की बारिश

राज्य के पत्रकारों पर कांग्रेस शासनकाल से ही आरोप लगते रहे हैं। तरह-तरह के पर्चे बटे हैं, लेकिन इस बार चुनाव के ठीक पहले सुविधाएं देने की बात सामने आ जाने से एक वर्ग खासा आहत व दुखी है।

शिवराज सरकार को बड़ा झटका, ग्वालियर की पूर्व महापौर ने छोड़ी भाजपा

हर मीडियाकर्मी आस लगाए है कि तस्वीर साफ होगी और मीडिया जगत से जुड़े जो भी लोग राजनीतिक दलों के लिए काम कर रहे हैं और इसके बदले में सुविधाएं और कार ली हैं, उनके चेहरे बेनकाब होने चाहिए।

देखें वीडियो:-

LIVE TV