पीएम ने एक वेबिनार को संबोधित कर कहा, देश में सीटों की समस्या को पूरी तरह से समाप्त कर सकता है डिजिटल विश्वविद्यालय

दिलीप कुमार

एक ओर जहां देश भर के पांच राज्यों में चुनाव चल रहा हो वहीं पीएम मोदी ने बजट 2022 को लेकर किए गए ऐलान के इंप्लीमिंटेशन को लेकर एक वेबिनार को संबोधित किया है। इस कार्यक्रम में मोदी ने कई पहलुओं पर चर्चा किया है। जिनमें से एक है शिक्षा का क्षेत्र जिसे लेकर पांच बिंदुओं पर फोकस किया है।

पीएम मोदी ने शिक्षा के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा करता हुए कहा कि शिक्षा के गुणवत्ता के सार्वभौमिकीकरण का विस्तार करने का हम निर्णय लिया गया है। दूसरे बिंदु पर फोकस करते हुए कहा कि कौशल विकास देश में डिजीटल स्किलींग इकोसिस्टम बनें, इंडस्ट्री की डिमांड के हिसाब से स्किल डेवलपमेंट हो, और उद्योग संबंध बेहतर हो, इस पर ध्यान दिया गया है। भारत के शहरी क्षेत्रों में जो पुरातन अनुभव और ज्ञान है, उसे हमारी आज की शिक्षा में समाहित किया जाए। वहीं, चौथा अहम पक्ष अंतर्राष्ट्रीयकरण है जिसके तहत भारत में वर्ल्ड क्लास विदेशी विश्वविद्यालय आएं। पीएम मोदी ने अंतिम पहलु AVGC पर फोकस करते हुए कहा कि एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग और कामिक्स जैसे क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं और एक बहुत बड़ा ग्लोबल बाजार।

पीएम मोदी युवा पीढ़ी के महत्व को बताते हुए कहा कि हमारी युवा पीढ़ी देश के भविष्य की कर्णधार है और राष्ट्र निर्माता हैं। आज कि युवा पीढ़ी को सशक्त करने का मतलब है भारत के भविष्य को सशक्त करना है। उन्होनें ई-विद्या, वन क्लास वन चैनल, डिजीटल लैब्स, डिजिटल विश्वविद्यालय युवाओं को बहुत मदद पहुंचाने वाला है, ये भारत के समाजिक-आर्थिक सेटअप में गांव, गरीब, दलीत, पिछड़े, आदिवासी, सभी को शिक्षा के बेहतर समाधान देने का प्रयास है।

पीएम मोदी ने डिजिटल विश्वविद्यालय के कदम को लेकर कहा कि यह विश्वविद्याल भारत की शिक्षा व्यवस्था में अपनी तरह का अनोखा और अभूतपूर्व कदम है। डिजिटल विश्वविद्यालय में वो ताकत देख सकता हूं कि ये विश्वविद्यालय हमारे देश में सीटों की संख्या को पूरी तरह से समाप्त कर सकती है। उन्होंने कहा आज विश्व मातृभाषा दिवस मना रहा है। मातृभाषा में शिक्षा, बच्चों के मानसिक विकास से जुड़ी है। अनेक राज्यों में स्थानीय भाषाओं में मेडिकल और टेक्नीकल एजुकेशन की पढ़ाई शुरू हो चुकी है।

गौरतलब है कि इस वेबिनार के माध्यम से निजी क्षेत्रों, उद्योग जगत और शिक्षा के विशेषज्ञों से विचार-विमर्श करने का था।

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