तेल की ‘आग’ : इस देश में जनता ने किया ऐसा कि रातों-रात कम हुए दाम

नई दिल्ली: पूरे देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत ने आग लगा रखी है। दोनों की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी हैं। भले ही सरकार के हाथ में कीमतें न हों लेकिन बीते दिनों कर्नाटक चुनाव के चलते पेट्रोल और डीजल की कीमत नहीं बढ़ीं। वहीं चुनाव के परिणाम आए करीब दो हफ्ते बीत चुके हैं और कीमतें सिर्फ बढ़ी ही हैं। आज यानी सोमवार को भी पेट्रोल 15 पैसे और डीज़ल 11 पैसे महंगा हो गया है। दिल्ली में पेट्रोल की कीमतें 78.27 औऱ डीजल की कीमतें 69.17 रुपये प्रति लीटर हो गई हैं।

पेट्रोल और डीजल की कीमत

सबसे ज्यादा पेट्रोल-डीजल मुंबई में महंगा है। जहां कीमतें 86 रुपए प्रति लीटर के पार पहुंच गई हैं। सिर्फ मुंबई नहीं देशभर में यही हाल है कि पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते जा रहे हैं। पेट्रोलियम की कीमते जैसे जैसे बढ़ रही हैं वैसी ही लोगों की पारा भी बढ़ता जा रहा है। अब जनता सरकार के लिए या सरकार जनता के लिए क्या कदम उठाती है ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन दुनिया में एक देश ऐसा भी है जहां जनता ने सरकार को झुका लिया था।

जिस तरह भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ रहे हैं, ठीस वैसे ही साल 2000 में जर्मनी का हाल था। पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे थे। जिसके बाद जर्मनी की जनता ने कुछ ऐसा किया कि सरकार को उनके आगे झुकना पड़ा।

जर्मनी में क्या हुआ था

कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने से जनता काफी परेशान हो चुकी थी। इसके बाद जर्मनी की जनता ने ऐसा तरीका निकाला, जिससे सरकार को दाम कम करने के लिए झुकना पड़ा और रातों-रात दाम को कम करना पड़ा।

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, पेट्रोल-डीजल के दाम कम कराने के लिए जर्मनी के लोगों ने अपनी गाड़ियां सड़कों पर छोड़ दीं। हजारों गाड़ियां सड़कों पर खड़ी थीं। शहर हो या गांव हर जगह से लोग प्रदर्शन में पहुंचे। इतना बड़ा प्रदर्शन देखकर सरकार ही दहशत में आ गई।

आखिरकार झुकी सरकार

बर्लिन के शहर और हाईवे पर सिर्फ गाड़ियां ही गाड़ियां नजर आईं। लोगों के विरोध से चारों ओर अफरा-तफरी मच गई। कामकाज पूरी तरह ठप पड़ गया। कई कंपनियों को काम बंद करना पड़ा। यह हाल देखकर जर्मनी की सरकार को झुकना पड़ा और तेल के दाम रातों-रात कम किए।

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