सीएम योगी को पद से हटाने की मांग करने वाली याचिका खारिज, जानिए क्या है पूरा मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने योगी आदित्यनाथ के 25 सितंबर 2022 के बाद उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बने रहने पर सवाल उठाने वाली एक याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा अदालत का समय खराब करने पर 11 हजार रुपए का हर्जाना भी लगाया है, हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने फैसले में यह निर्देश दिया है कि हर्जाने की रकम को चार हफ्ते में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा किया जाए।

हलफनामा को बनाया गया था आधार

यह आदेश हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस ए आर मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की डिविजन बेंच ने याची डॉक्टर एम इस्माइल फारुकी की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। याचिका दाखिल कर मांग की थी उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को 25 सितंबर 2022 से काम करने से रोका जाए. कहा गया था कि वह सीएम पद धारण करने की योग्यता नहीं रखते। उन्होंने कंडक्ट आफ इलेक्शन रूल्स 1961 के नियम 4 ए के तहत दाखिल हलफनामा सही से नहीं भरा था। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याची द्वारा दाखिल याचिका पोषणीय नहीं है. कोर्ट ने कहा कि याची को याचिका दाखिल करने का कोई विधिक अधिकार नहीं है।

कोर्ट याचिका दाखिल करने का बताया नियम
याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि याचिका तभी दाखिल की जाती है, जब व्यक्ति कानून के मुताबिक पद धारण नहीं कर रहा है। याची ने ऐसा कुछ नहीं कहा कि कैसे सीएम योगी आदित्यनाथ कानून के अनुसार पद धारण करने की योग्यता नहीं रखते। अदालत ने माना कि यह याचिका बेवजह दाखिल की गई है और इससे अदालत का समय खराब हुआ है. इसी वजह से याचिकाकर्ता पर 11000 रुपये का हर्जाना लगाया गया और याचिका को खारिज कर दिया गया।

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