चेन्नई की दवा कंपनी में घोड़ों के उत्पीड़न पर पेटा ने जतायी नाराजगी

नई दिल्ली। पशु अधिकार संगठन समूह पेटा ने सोमवार को कहा कि चेन्नई स्थित एक निजी दवा कंपनी में घोड़ों का कथित रूप से उत्पीड़न किया जा रहा है। पेटा ने कहा कि वह इस संबंध में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को पशुओं को बचाने और उन्हें पुनर्वास केंद्रों में भेजने के लिए पत्र लिखेगा।
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पेटा ने अपने बयान में कहा, “जांच से पता चला है कि चेन्नई स्थित मेडिक्लोन बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड के निजी फॉर्म में घोड़ों का प्रयोग एंटीऑक्सिन बनाने के लिए किया जाता है। ये पशु चर्मरोग, शरीर पर घाव, कुपोषण समेत अन्य बीमारियों से ग्रसित हैं। कुछ पशुओं को तो अपने मल तक को खाते देखा गया।”

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पेटा के अनुसार, सरकार ने 2015 में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड की जांच के बाद 31 मार्च 2017 को मेडिक्लोन के प्रयोग लाइसेंस को रद्द कर दिया था।

पेटा भारत के विज्ञान नीति सलाहकार दीप्ति कपूर ने कहा, “मेडिक्लोन के लाइसेंस निलंबन के बाद भी घोड़ों का उत्पीड़न बंद नहीं हुआ।”

उन्होंने कहा, “पेटा अधिकारियों से पूरे भारत में एंटीटॉक्सिन उत्पादन के लिए घोड़ों को बचाने और इन्हें पुनर्वास में भेजने की अपील करता है।”

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वहीं मेडिक्लोन बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड के प्रवक्ता ने अपने फॉर्म में पशुओं के साथ क्रूरता से इनकार किया और कहा, “यह जानबूझकर फर्मास्यूटिकल उद्योग को बर्बाद करने का प्रयास है और पेटा ने इसी तरह के आरोप अन्य कंपनियों के विरुद्ध भी लगाए हैं।”

उन्होंने कहा कि कंपनी इस संबंध में अलग से प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखेगी।

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