
इस्लामाबाद: आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की पूरे विश्व में आलोचना हो रही है. पूरी दुनिया के विरोध करने के बावजूद आतंकवाद पर पाकिस्तान द्वारा अपनाई गई दोहरी मानसिकता के हथकंडे अब उसी के लिए आफत का सबब बन गये हैं. भारत द्वारा आतंकवाद पर पूरे विश्व में लाबिंग किये जाने के बाद अब पाकिस्तान दुनिया के सामने अकेला पड़ता नजर आ रहा है. कुछ समय से पाकिस्तान का नया रहनुमा बनने का दावा करने वाला चीन भी अब उससे पीछा छुड़ाने की जुगत में है.
पाकिस्तान को उन देशों की सूची में डालने की बात हो रही है जिन पर आतंकवाद पर लगाम लगाने के मामले में नजर रखी जानी है. इसी आधार पर इन देशों को आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए वित्तीय मदद दी जाती है.
अमेरिका लगातार पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ‘ग्रे लिस्ट’ में डालने की मांग कर रहा है.
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पाकिस्तान 2015 तक इस लिस्ट में शामिल था. चीन ने पहले पाकिस्तान को इस लिस्ट में डालने का विरोध किया था लेकिन फिर वह पीछे हट गया था.
आतंकवाद के मामले पर पाकिस्तान को अपने दोस्त देश चीन का साथ भी नहीं मिल रहा है. चीन ने पाकिस्तान से साफ कह दिया है कि अब वह आतंकवाद के मामले पर उसका साथ नहीं दे सकता है.
चीन ने पाकिस्तान से कहा है कि वह इस मामले में उसका साथ नहीं दे सकता क्योंकि इससे उसकी भी बदनामी होनी तय है. चीन को लग रहा है कि उसकी कोशिशों के बावजूद अब पाकिस्तान को इस लिस्ट में डालने से नहीं रोका जा सकता है.
अमेरिका ने पिछले हफ्ते ही FATF के सदस्य देशों पर पाकिस्तान को इस लिस्ट में डालने का दबाव बनाया था.
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खबर के मुताबिक पाकिस्तान को यहाँ तक पहुँचाने में अमेरिका ने अहम भूमिका निभाई है. पाकिस्तान और अमेरिका के सम्बन्धों में उस समय दरार पड़ गयी थी जब अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता पर रोक लगा दी थी.
अमेरिका द्वारा सीधी चेतावनी दिए जाने के बाद भी पाकिस्तान ने चीन जैसे अपने आकाओं की नुमाइंदगी करना जारी रक्खा था जिसका परिणाम है कि अपनी नाक बचाने की खातिर ड्रैगन ने भी पाकिस्तान को अकेला छोड़ दिया है.