
नई दिल्ली। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी और माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस (एनबीएफसी-एमएफआइज) ने वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में 24 फीसदी की विकास दर हासिल की है। माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क द्वारा जारी माइक्रोमीटर रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई द्वारा एनबीएफसी-एमएफआइज के लिए नियुक्त पहले सेल्फ-रेगुलेटरी ऑर्गेनाजइेशन (एसआरओ) और एक उद्योग संगठन का एग्रीगेट सकल ऋण पोर्टफोलियो वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में 38,288 करोड़ रुपये रहा।
एनबीएफसी-एमएफआइज ने वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में 63.1 लाख रुपये का ऋण वितरित किया, जिसमें गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में दो फीसदी की वृद्धि देखने को मिली। जबकि चालू वित्त वर्ष की पिछली तिमाही में बांटे गए ऋण की तुलना में यह 15 फीसदी अधिक रहा।
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कंपनी ने एक बयान में कहा कि पिछली तिमाहियों के दौरान पोर्टफोलियो एट रिस्क (पीएआर) जिस पर इस साल की शुरुआत में नोटबंदी के कारण बुरा असर पड़ा था, धीरे-धीरे कम हो रहा है। इस क्रमिक कटौती के अनुरूप, पीएआर वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में 5.41 फीसदी पर आ गया, जबकि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 9.78 फीसदी था। इसी तरह पीएआर वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही के 7.08 फीसदी की तुलना में दूसरी तिमाही में 5.19 फीसदी रहा।
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एमएफआइएन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रत्ना विश्वनाथन ने बताया, “पिछली तिमाहियों की तुलना में अब हम ऋण वितरण में विकास दर्ज कर रहे हैं। यह दर्शाता है कि उद्योग अब सामान्य स्थिति की ओर लौट रहा है। यह गौर करना भी जरूरी है कि एनबीएफसी-एमएफआइज अब वितरण एवं एकत्रण के लिए डिजिटल मार्ग अपना रहे हैं, जिससे उन्हें नकद प्रबंधन जैसे लॉजिस्टिक संबंधी मामलों से काफी हद तक निजात मिलेगी। जोखिम वाले पोर्टफोलियो के फीसदी में कमी और वितरण में सुधार के साथ, हमें उम्मीद है कि उद्योग आने वाले महीने में विकास के और बेहतर आंकड़े प्रदर्शित करेगा।”