नवरात्रि के दूसरे दिन इस मंत्र के जाप के साथ करें मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्‍न

नई दिल्‍ली। नौ दिन का महापर्व नवरात्रि शुरू हो चुका है। कल नवरात्रि का पहला दिन था। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती हैं। आज इसका दूसरा दिन है। नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी का होता है। नवरात्रि के दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी के स्‍वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है।

इस दिन मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप की पूजा करने से अनंत शक्ति मिलती है। साथ ही कठिन समय में भी शांत मन से काम करने की शक्ति मिलती है। मन विचलित नहीं होता है।

मां ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्मत्व का स्वरूप हैं अर्थात ब्रह्मतेज का साकार होता है। उनका स्वरूप खिलते हुए कमल जैसा लगता है। मां के मुखमंडल पर कठोर तप के कारण अद्भुत तेज नजर आता है। यह कांति का अनूठा संगम है। मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में अक्षमाला होती है और बाएं हाथ में कमण्डल।

मां के आज्ञा चक्र से तेज निकलता है। मां ब्रह्मचारिणी सदैव धवल रंग के वस्त्र में होती हैं। कमल उनके श्रृंगार के प्रतीक जैसा होता है। उनके कंगन, कड़े, हार, कुंडल तथा बाली आदि सभी जगह कमल जड़े हुए होते हैं। मां ब्रह्मचारिणी का ये स्वरुप माता पार्वती का वो चरित्र है जब उन्होंने शिव की साधना के लिए तप किया था।

नवरात्रि के दूसरा दिन इस मंत्र का करें जाप-

या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

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