मजिस्ट्रेट की जांच में गोवा के नाइटक्लब में लगी आग के पीछे की बड़ी खामियां उजागर हुईं

गोवा क्लब अग्निकांड मामले में मजिस्ट्रेट जांच में कई गंभीर खामियों और लापरवाही के खुलासे हुए हैं।

India Goa Nightclub Fire

गोवा क्लब अग्निकांड मामले में मजिस्ट्रेट जांच में कई गंभीर खामियों और लापरवाही के खुलासे हुए हैं। उत्तरी गोवा के अरपोरा स्थित बिर्च बाय रोमियो लेन क्लब में लगी आग की घटना के संबंध में चार सदस्यीय पैनल की रिपोर्ट जारी कर दी गई है, जिसमें 25 लोगों की जान चली गई थी। जांच में स्थानीय पंचायत, गोवा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) और गोवा तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (जीसीजेडएमए) की गंभीर लापरवाही उजागर हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, क्लब के संचालन की प्राथमिक जिम्मेदारी स्थानीय पंचायत की है। क्लब का व्यापारिक लाइसेंस मार्च 2024 में समाप्त हो गया था, फिर भी पंचायत ने न तो परिसर को सील किया और न ही उसका संचालन बंद किया।

हालांकि पंचायत ने विध्वंस का आदेश जारी किया था, लेकिन स्थगन आदेश के प्रभावी होने से पहले उपलब्ध समय के भीतर कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिस संपत्ति पर क्लब चल रहा था, वह 1996 से मौजूद है, और इससे पहले उसी स्थान पर दो रेस्तरां संचालित हो चुके थे। जांच से पता चलता है कि यह कई वर्षों तक चली आ रही एक प्रणालीगत विफलता थी। न्यायिक आयोग की जांच में यह भी पता चला कि निर्माण कार्य पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र (नमक के मैदान वाला क्षेत्र) में किया गया था, और यह संरचना बिना अधिभोग प्रमाण पत्र के बनाई गई थी।

शिकायतों के बावजूद, इस बात पर सवाल उठाए गए हैं कि पंचायत ने एक से अधिक बार एनओसी कैसे जारी की। व्यापार, उत्पाद शुल्क, खाद्य सुरक्षा लाइसेंस, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति, तीन अलग-अलग एनओसी और पंचायत तथा अन्य सरकारी विभागों से अनुमोदन प्राप्त किए गए। इस जांच में GCZMA भी सवालों के घेरे में आ गया है। तटीय विनियमन क्षेत्रों (CRZ) के उल्लंघन और अवैध निर्माण के संबंध में दो लिखित शिकायतें प्राप्त हुईं, लेकिन कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई।

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