दिवंगत नरसिम्हा राव पर इस पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे ने लगा दिया गंभीर आरोप

तिरुवनंतपुरम। दिवंगत कांग्रेस नेता के. करुणाकरन के बेटे के. मुरलीधरन ने रविवार को कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने उनके पिता और केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री को 1994 के इसरो जासूसी मामले के बाद पद छोड़ने के लिए कहा था।

नरसिम्हा राव

कांग्रेस विधायक मुरलीधरन ने यहां मीडिया से कहा, “जहां तक मैं जानता हूं, और उन्होंने (करुणाकरण) मुझसे जो कहा था, जिस तरह से 1995 में राव (तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष) ने उनके साथ व्यवहार किया था, वह निराश हो गए थे। (कांग्रेस नेता) जी.के. मूपनार ने मुझे 15 मार्च, 1995 को बुलाया और कहा कि मेरे पिता को राव के निर्देशानुसार मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा, और अगले दिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया।”

कांग्रेस नेता ने कहा, “उन्होंने (करुणाकरण) मुझे बताया था कि (उन्हें हटाने के लिए) राव जिम्मेदार थे। केरल के किसी भी व्यक्ति ने अभी तक करुणाकरन हो हटाने के लिए नहीं कहा था। कांग्रेस में उस समय जो हुआ, वह सामान्य गुटबाजी से ज्यादा कुछ नहीं था।”

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मुरलीधरन ने यह भी कहा कि यदि 1995 में सरकार या पार्टी में नेहरू-गांधी परिवार का कोई व्यक्ति रहा होता, तो करुणाकरन को इस तरह का अपमान नहीं सहना पड़ा होता। करुणाकरन का दिसंबर 2010 में निधन हो गया था।

कांग्रेस नेता ने कहा कि यदि उनसे कहा गया तो वह जासूसी मामले में तीन पुलिसकर्मियों की भूमिका की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति के समक्ष पेश होंगे, और रविवार को जो बात उन्होंने कही है, वह बात समिति के समक्ष रखेंगे।

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मुरलीधरन की बहन पद्मजा वेणुगोपाल ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन जासूसी मामला उन पांच कांग्रेसी नेताओं की उपज थी, जिनके कारण करुणाकरन को 16 मार्च, 1995 को इस्तीफा देना पड़ा था। बहन के इस कथ्य पर मुरलीधरन ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि उन्होंने किस आधार पर यह बात कही है।

पद्मजा का बयान ऐसे समय में आया, जब इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने 14 सितंबर को केरल सरकार को आदेश दिया कि वह इसरो के वैज्ञानिक एस. नांबी नारायणन को 50 लाख रुपये मुआवजा दे, क्योंकि जासूसी मामले में उन्हें झूठा फंसाया गया और उनकी अनावश्यक गिरफ्तारी की गई और उन्हें प्रताड़ित किया गया।

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