मुश्किल समय में अपनाएं ये तरीका, खत्म हो जाएंगी सारी मुसीबतें

सुबह होते ही, एक भिखारी किसी सज्जन के घर पर भिक्षा मांगने के लिए आया। दरवाजे पह हुई दस्तक को सुनकर वह सज्जन बाहर आए। मगर, उनकी जेब में भिखारी को देने के लिए कुछ नहीं था। लिहाजा वह कुछ दुखी होकर घर के अंदर गए और एक बर्तन उठाकर भिखारी को दे दिया।

एक भिखारी

भिखारी के जाने के थोड़ी देर बाद ही वहां उन सज्जन की पत्नी आई और बर्तन न पाकर चिल्लाने लगी। ये क्या कर दिया आपने, चांदी का बर्तन भिखारी को दे दिया। जल्दी जाओ और उस भिखारी को रोककर बर्तन वापस लाओ।

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वह सज्जन दौड़ते हुए भिखारी के पास पहुंचे और उसे रोककर बोले, भाई मेरी पत्नी ने मुझे अभी-अभी यह बताया है कि यह गिलास जो मैंने आपको दिया था, वह चांदी का है। कृपया इसे सस्ते में मत बेच दीजिएगा।

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वही, उन सज्जन के मित्र भी खड़े थे उन्होंने पूछा- जब आपको पता चल गया था कि ये गिलास चांदी का है, तो भी उसे गिलास क्यों ले जाने दिया? सज्जन ने कहा- मैंने मन को इस बात का अभ्यस्त बनाने के लिए उसे गिलास ले जाने दिया कि बड़ी से बड़ी हानि में भी कभी दुखी और निराश न हों।

शिक्षा– मन को कभी भी निराश न होने दें, बड़ी से बड़ी हानि में भी प्रसन्न रहें। मन उदास हो गया, तो आपके कार्य करने की गति धीमी हो जाएगी।

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