‘राम रहीम’ ने बढ़ाई मोदी की टेंशन, बना हिंसा का माहौल, कोर्ट की सख्त हिदायत-केंद्र हुआ फेल तो…

राम रहीम पर टेंशन में मोदीनई दिल्ली। राम रहीम मामले में हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी हिदायत देते हुए पेशी के दौरान सुरक्षा बालों में इजाफा करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने सरकार को यह भी साफ़ किया कि यदि वह सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर पाने में असमर्थ रहे तो मामले में सेना की दखल शामिल की जाएगी।

बता दें डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के खिलाफ दायर यौन उत्पीड़न के एक मामले में कोर्ट 25 अगस्त को फैसला सुनाएगी।

इस दौरान कोर्ट में उनकी पेशी के चलते कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हरियाणा में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है।

कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा की बीजेपी सरकार को कड़ी हिदायत दी है और केंद्र सरकार से भी अतिरिक्त बलों की तैनाती करने और कड़े कदम उठाने को कहा है।

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कोर्ट ने केंद्र सरकार से सख्त लहजे में कहा है, “अगर उचित कदम नहीं किए उठाएंगे तो हम सेना को निर्देश देंगे।”

कोर्ट की इस सख्त हिदायत के बाद केंद्र सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया है कि सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे।

कोर्ट ने यह भी कहा कि वह नहीं चाहता दोबारा जाट आरक्षण आंदोलन के समय हुई हिंसा जैसे हालात राज्य में बने।

इसके अलावा कोर्ट ने इंटेलिजेंस विभाग से भी राज्य सरकार को जरूरी जानकारी मुहैया कराने को कहा है।

इसी बीच कोर्ट में पेशी को लेकर गुरमीत राम रहीम सिंह ने भी फेसबुक के जरिए अपनी बात जनता के बीच रखी है।

उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट में लिखा, “हमने सदा क़ानून का सम्मान किया है। हालांकि हमारी पीठ में दर्द है,फिर भी क़ानून की पालन करते हुए हम कोर्ट ज़रूर जाएंगे।हमें भगवान पर दृढ़ यकीन है। सभी शांति बनाए रखें।”

बता दें सरकार की सख्ती और निषेधाज्ञा होने के बाद भी पंचकुला में अब तक 1।5 लाख से ज्यादा डेरा समर्थक पहुंच चुके हैं और उनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

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बड़ी तादाद में गुरमीत राम रहीम सिंह के समर्थको के पंचकुला पहुंचने पर हिंसा का माहौल बनने की आशंका है। इस वजह से पुलिस-प्रशासन ने कई इंतजाम किए हैं।

वहीं राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए न्यायपालिका ने भी चिंता जताई है और सख्त हिदायतें दी हैं।

न्यायपालिका नहीं चाहती कि राम रहीम सिंह की पेशी के दौरान हिंसा का ऐसा माहौल खड़ा हो जाए, जो जाट अरक्षण आंदोलन के समय देखने को मिला था।

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