गांव के नाम में हुई मिस्टेक, तो प्रशासन ने अपनी रबड़ से मिटा दी 300 परिवारों की किस्मत
रिपोर्ट- विशाल सिंह
गोण्डा। उत्तर प्रदेश के गोण्डा में एक गांव ऐसा है जहाँ अभी तक प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को एक भी आवास नहीं मिला। जबकि इस गांव में 300 परिवार ऐसे है जिनके पास रहने के लिए घर नहीं है और ये सभी परिवार हर साल बाढ़ का दंश भी झेलता है। अभी तक इन परिवारों को पीएम आवास क्यों नहीं मिला इसका जो कारण जिले के अधिकारियों से सुनने को मिला वो चौकाने वाला था।
दरअसल गांव का नाम दुल्लापुर है और अधिकारियों की गलती से भारत सरकार की वेबसाइट पर गांव का नाम डल्लापुर फीड हो गया। वेबसाइट पर गांव का नाम बदल जाने से दुल्लापुर गांव को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अभी तक एक भी घर जिला प्रशासन द्वारा नहीं दिया जा सका। इसकी शिकायत ग्राम प्रधान व ग्रामीणों द्वारा जिलाधिकारी सहित भारत सरकार को 2016 से की जा रही है। लेकिन अभी तक किसी भी तरह की कार्यवाही न भारत सरकार द्वारा की गई और न ही जिला प्रशासन द्वारा कोई जहमत उठाई गई।
अधिकारियों की उदासीनता के कारण इस गांव में 300 परिवार छप्पर के घरों में रहने को मजबूर है और हर साल आने वाले बरसात के मौसम में बाढ़ का दंश भी झेलते है। एक तरफ सरकार दावा कर रही है कि 2022 तक हर गरीब को घर दे दिया जाएगा। ऐसे में अगर सिर्फ अक्षर के फेर में अधिकारी गांव और ग्रामीणों को सालों तक पीएम आवास योजना से वंचित रखेंगे तो सरकार के दावे कैसे पूरे होंगे यह एक गंभीर सवाल है। इस मामले पर जब जिले के मुख्य विकास अधिकारी अशोक कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा मामल भारत सरकार का है। जब तक वहाँ से जवाब नहीं आता तब हम कुछ नहीं कर सकते यह जानकारी भारत सरकार को जिला प्रशासन द्वारा कई बार दिया गया और कई बार रिमाइंडर भी भेजा गया लेकिन अभी तक कोई अपडेट नहीं आया है।
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यही नही चौंकाने वाली बात तो तब सामने आई जब सीडीओ ने खुद कैमरे के सामने कहा कि यह समस्या सिर्फ इसी गांव कि नहीं है इस तरह के एक – दो गांव और संज्ञान में आये है जैसे कर्नलगंज में सरैया गांव और परसपुर ब्लाक में ठाकुरापुर गांव है जिसकी समस्या भी भारत सरकार को भेजी गई है। अब ऐसे में यह कह पाना बहुत मुश्किल है के सरकार के वो दावे कैसे पूरे होंगे जिसमे वो कहती है 2022 तक हर व्यक्ति को आवास उपलब्ध हो जाएगा।