रूस-यूक्रेन युद्ध: 50 भारतीय अभी भी रूसी सेना में फंसे, 26 की मौत, 7 लापता – सरकार ने संसद को दी जानकारी

रूस-यूक्रेन युद्ध में भारतीयों की भर्ती का मामला लगातार गंभीर होता जा रहा है। विदेश मंत्रालय ने संसद को बताया कि फरवरी 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक 202 भारतीयों की रूसी सेना में भर्ती हुई है। इनमें से 26 की मौत हो चुकी है, जबकि 7 लापता हैं। सरकार के अथक प्रयासों से 119 भारतीयों को मुक्त कराकर स्वदेश लाया जा चुका है, लेकिन 50 अभी भी रूसी सेना में फंसे हैं, जिनकी जल्द वापसी के लिए कूटनीतिक प्रयास जारी हैं।

विदेश राज्य मंत्री किर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस सांसद साकेत गोखले और कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला के सवालों के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। मंत्री ने कहा कि सरकार रूसी अधिकारियों से विभिन्न स्तरों पर लगातार संपर्क में है ताकि बाकी भारतीयों की सुरक्षा और शीघ्र रिहाई सुनिश्चित की जा सके।

यह मामला मुख्य रूप से धोखाधड़ी से जुड़ा है। बेरोजगार युवाओं को ऊंची सैलरी, नौकरी या नागरिकता का लालच देकर एजेंट रूस भेजते हैं। कई भारतीय छात्र या पर्यटक वीजा पर रूस गए, लेकिन वहां पहुंचकर उन्हें जबरन सेना में भर्ती कर फ्रंटलाइन पर भेज दिया गया। कुछ मामलों में छोटे-मोटे अपराधों में फंसे भारतीयों को जेल की सजा के बदले युद्ध लड़ने का विकल्प दिया गया।

हालिया हादसों में राजस्थान के 22 वर्षीय अजय गोडारा और उत्तराखंड के 30 वर्षीय राकेश कुमार मौर्य शामिल हैं, जिनके शव हाल ही में दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे। दोनों छात्र वीजा पर रूस गए थे, लेकिन धोखे से सेना में भर्ती हो गए।

विदेश मंत्रालय ने 10 शवों को भारत लाने और 2 का स्थानीय अंतिम संस्कार कराने में मदद की है। 18 मृत या लापता भारतीयों की पहचान के लिए परिवारों के डीएनए सैंपल रूसी अधिकारियों को सौंपे गए हैं।

यूक्रेनी पक्ष पर भी अनौपचारिक अनुमान के अनुसार करीब 100 भारतीय इंटरनेशनल लीजन में शामिल हुए हैं, जिनमें से कम से कम 2 की मौत हुई है। सरकार ने भारतीयों को चेतावनी दी है कि वे रूस-यूक्रेन संघर्ष क्षेत्र से दूर रहें और किसी भी लुभावने ऑफर से सावधान रहें।

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