कश्मीरी हिंदुओं को महबूबा का झटका, अल्पसंख्यक आयोग बनाने से इनकार

जम्मू-कश्मीर सरकारनई दिल्ली| जम्मू-कश्मीर सरकार ने घाटी में रहने वाले अल्पसंख्यक समुदाय को करारा झटका दिया है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जवाब देते हुए सरकार ने ये साफ़ कर दिया है कि सूबे में अल्पसंख्यक आयोग का गठन नहीं किया जाएगा.

जम्मू-कश्मीर सरकार ने रखा पक्ष

जम्मू-कश्मीर में करीब 68.3 फीसदी मुस्लिम आबादी है. जबकि 28.4 फीसदी हिंदू, 1.9 फीसदी सिख, 0.9 फीसदी बुद्ध और 0.3 फीसदी ईसाई हैं. इस लिहाज से वहां हिन्दू और सिख प्रमुख अल्पसंख्यक समुदाय हैं.

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जम्मू के रहने वाले एक वकील अंकुर शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. इस याचिका में कहा गया था कि राज्य के अल्पसंख्यक हिंदू और सिखों के लिए मिलने वाली आर्थिक मदद बहुसंख्यक आबादी पर खर्च हो रही है. ये सूबे के अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय है. इसे रोकने के लिए अलग से आयोग जरूरी है.

इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जवाब देते हुए जम्मू-कश्मीर सरकार ने बताया कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, 1992 के तहत वो सूबे में आयोग बनाने के लिए बाध्य नहीं है. राज्य सरकार इस मसले पर अल्पसंख्यकों की सामाजिक और शैक्षिक स्तर को देखकर सही वक्त पर ही कोई निर्णय लेगी.

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राज्य सरकार ने यह भी कहा कि अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए मुख्यमंत्री समावेशी विकास कार्यक्रम चलाया जा रहा है. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने कहा कि कोर्ट राज्य सरकार को अल्पसंख्यक आयोग गठित करने का आदेश नहीं दे सकता. इस पर राज्य सरकार को ही कदम उठाने होंगे.

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