‘मोदीकेयर’ के विरोध में ममता, कहा- नए शिगूफे से दूर रहेगा पश्चिम बंगाल

‘मोदीकेयर'बंगाल: मोदी सरकार की सबसे महत्वकांक्षी योजना मोदीकेयर पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तंज कसा है. बजट में 50 करोड़ लोगो के लिए स्वास्थ्य बीमा का एलान करने वाली मोदी सरकार पर देश के संसाधनों को बर्बाद करने का आरोप ममता बनर्जी की तरफ से लगाया गया है.

केंद्रीय बजट में घोषित 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा की सुविधा देने की सरकार की यह योजना ‘मोदीकेयर’ के नाम से मशहूर है.

राज्य के कृष्णानगर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ममता ने कहा, ‘केंद्र सरकार एक ऐसी स्वास्थ्य योजना लेकर आई है, जिसमें 40 फीसदी फंड राज्यों को देना होगा.

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सवाल उठता है कि राज्य सरकारें एक और कार्यक्रम के लिए पैसा क्यों खर्च करें, जब उनके पास पहले से ही ऐसा कार्यक्रम है? राज्य के पास संसाधन होगा तो वह अपनी योजना चलाएगा.’

ममता उन विपक्षी पार्टियों से सहमति जताती नजर आई हैं जिन्होंने इस प्रोजेक्ट के लिए प्रस्तावित बजट पर शंका व्यक्त की है.

27 लाख बीपीएल कार्ड धारकों को मिलने वाली सब्सिडी के लक्ष्य को पूरा न कर पाने का आरोप लगते हुए उन्होंने कहा कि जब 27 करोड़ लोगों को सुविधाएं देने में सरकार नाकाम रही तो फिर अब 50 करोड़ लोगों के लिए सरकार क्यूँ जुमलेबाजी कर रही है?.

ममता ने बंगाल में मुफ्त चिकित्सा सुविधा को शाबासी देते हुए कहा कि  हम तो तब भी ऐसा करने में कामयाब हुए जबकि केंद्र सरकार हमसे हर साल 48 हजार करोड़ रुपये कर्ज देनदारी के रूप में ले लेती है जोकि सीपीएम सरकार से हमें विरासत में मिला है.

ममता ने कहा कि उनकी सरकार तो पहले से ही भर्ती मरीजों की तीमारदारी और इलाज को मुफ्त कर रक्खा है. हमको अब तक 50 लाख लोगों तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुँचाने में कामयाबी मिली है जिसके सामने ‘मोदीकेयर एक शिगूफा ही नजर आती है.

गौरतलब है कि नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने केंद्र सरकार की इस योजना के लिए एक साल में करीब 6,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया है.

केंद्र सरकार ने इसके लिए 2,000 करोड़ का एक तात्कालिक आवंटन किया है.

मोदी सरकार की सबसे महत्वकांक्षी योजना मोदीकेयर पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तंज कसा है. बजट में 50 करोड़ लोगो के लिए स्वास्थ्य बीमा का एलान करने वाली मोदी सरकार पर देश के संसाधनों को बर्बाद करने का आरोप ममता बनर्जी की तरफ से लगाया गया है.

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केंद्रीय बजट में घोषित 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा की सुविधा देने की सरकार की यह योजना ‘मोदीकेयर’ के नाम से मशहूर है.

राज्य के कृष्णानगर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ममता ने कहा, ‘केंद्र सरकार एक ऐसी स्वास्थ्य योजना लेकर आई है, जिसमें 40 फीसदी फंड राज्यों को देना होगा.

सवाल उठता है कि राज्य सरकारें एक और कार्यक्रम के लिए पैसा क्यों खर्च करें, जब उनके पास पहले से ही ऐसा कार्यक्रम है? राज्य के पास संसाधन होगा तो वह अपनी योजना चलाएगा.’

ममता उन विपक्षी पार्टियों से सहमति जताती नजर आई हैं जिन्होंने इस प्रोजेक्ट के लिए प्रस्तावित बजट पर शंका व्यक्त की है.

27 लाख बीपीएल कार्ड धारकों को मिलने वाली सब्सिडी के लक्ष्य को पूरा न कर पाने का आरोप लगते हुए उन्होंने कहा कि जब 27 करोड़ लोगों को सुविधाएं देने में सरकार नाकाम रही तो फिर अब 50 करोड़ लोगों के लिए सरकार क्यूँ जुमलेबाजी कर रही है?.

ममता ने बंगाल में मुफ्त चिकित्सा सुविधा को शाबासी देते हुए कहा कि  हम तो तब भी ऐसा करने में कामयाब हुए जबकि केंद्र सरकार हमसे हर साल 48 हजार करोड़ रुपये कर्ज देनदारी के रूप में ले लेती है जोकि सीपीएम सरकार से हमें विरासत में मिला है.

ममता ने कहा कि उनकी सरकार तो पहले से ही भर्ती मरीजों की तीमारदारी और इलाज को मुफ्त कर रक्खा है. हमको अब तक 50 लाख लोगों तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुँचाने में कामयाबी मिली है जिसके सामने ‘मोदीकेयर’ एक शिगूफा ही नजर आती है.

गौरतलब है कि नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने केंद्र सरकार की इस योजना के लिए एक साल में करीब 6,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया है.

केंद्र सरकार ने इसके लिए 2,000 करोड़ का एक तात्कालिक आवंटन किया है.

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