
करवाचौथ के दिन सभी सुहागिन औरतें अपनी पति की लंबी उम्र के लिए पूरा दिन व्रत रखती है। फिर शाम को पूजा करने के बाद चांद को देखकर ही कुछ ग्रहण करती हैं। इस व्रत को रखना काफी कठिन माना जाता है। इस व्रत के साथ कई तरह की मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं। इस व्रत में इतना मतलब करवे से होता है उतना ही मतलब छलनी का भी होता है। आज हम आपको इस करवा और छलनी के महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं।
करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं छलनी में दीपक यानी दीया रखकर चांद को देखने के बाद अपने पति को देखती हैं। अपने पति को छलनी से देखने के बाद ही अपना व्रत पूरा करती हैं।
जानें आज किस समय में व्रत खोल सकेंगी महिलाएं
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, चंद्रमा को भगवान ब्रह्मा का रूप माना जाता है। ये भी मान्यता है कि चांद की आयु लंबी होती है। साथ ही चांद सुंदरता और प्रेम का प्रतीक होता है। यही वजह है कि करवा चौथ के व्रत के दौरान महिलाएं छलनी से चांद को देखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
ऐसा भी माना जाता है कि अगर आप चांद देखे बिना व्रत खोल लेता हैं तो उसका असर आपको पति पर देखने को मिलता है। साथ ही यह असर कितना खतरनाक हो सकता है इसका तो आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं। इसलिए जब आप असली चांद के देख लें और छलनी में दीपक के साथ पूजा कर लें तब ही इस व्रत को खोलना चाहिए।