KBC 2019: मरा हुआ समझकर डॉक्टरों ने फेंक दिया था डस्टबिन में, नुपूर चौहान की इस आपबीती पर स्तब्ध रह गए अमिताभ

कौन बनेगा करोड़पति का सीजन 11 शुरु हो चुका है. गुरुवार के दिन कंटेस्टेंट नुपूर चौहान हॉटसीट पर पहुंचीं. लेकिन केबीसी के मंच पर कुछ ऐसा हुआ कि पूरा मंच तालियों से गूंज उठा.

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दरअसल, नुपूर चौहान को एक रेयर बीमारी है, जिसकी वजह से वो ठीक से चल नहीं सकती हैं. लेकिन नुपूर चौहान ने ये तय कर रखा है कि वो कभी व्हील चेयर पर नहीं बैठेंगी, फिर चाहे स्टैंड लेकर ही क्यों न चलना पड़े. नुपूर चौहान की जिंदगी का सफर यहीं पर खत्म नहीं होता है, उन्होंने हॉट सीट पर आने के बाद जिंदगी के वो अनुभव बताए जिसे सुनकर अमिताभ बस यही कह सके कि मैं स्तब्ध हूं.

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गुरुवार को अमिताभ ने जैसे ही फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट का रिजल्ट सुनाते हुए विनर का नाम लिया, नुपूर बुरी तरह रोने लगीं. अमिताभ बच्चन उनकी सीट तक आए, उन्हें चुप कराया और उठने के लिए हाथ बढ़ाया. नुपूर लड़खड़ाते हुए अपनी सीट से उठीं और चार कदम चलने के बाद उनके भाई ने आकर नुपूर को गोद में उठा लिया. नुपूर को भाई ने ही हॉट सीट तक पहुंचाया.

ये देखकर केबीसी का मंच तालियों से गूंज उठा, क्योंकि नुपूर चल नहीं सकतीं,लेकिन उनके इरादे इतने मजबूत हैं कि वो हॉट सीट तक पहुंच गई हैं.

अमिताभ ने केबीसी के सवालों से पहले नुपूर से सवाल किया, “आपने कभी व्हील चेयर का सहारा नहीं लिया ऐसा क्यों?”  नुपूर ने कहा, “सर मैं अगर व्हीलचेयर पर बैठ गई तो फिर खड़ी नहीं हो सकूंगी. इसलिए ये तय कर रखा है कि आखिरी सांस तक अपने दम पर चलूंगी. फिर चाहे किसी सहारे पर चलूं, जैसे स्टैंड लेकर चलना.”

नुपूर से अमिताभ ने पूछा के आपकी ये कंडीशन कैसे हुई? इस पर नुपूर ने जवाब दिया कि मैं प्रोफेशन से एक टीचर हूं. नुपूर ने अपनी कंडीशन के बारे में कहा, मेरा केस मेडिकल टर्म के हिसाब से Mixed Cerebral Palsy है. ये बच्चे अपनी उम्र से कुछ साल पीछे होते हैं, या फिर उनका कोई अंग काम नहीं करता है. मेरे केस में अच्छा ये है कि मेरा दिमाग नॉर्मल काम करता है.

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नुपूर ने बताया कि मेरा केस इतना ब‍िगड़ा हुआ नहीं था, जितना डॉक्टर्स की लापरवाही से ब‍िगड़ गया.

नुपूर ने बताया, “मेरा जन्म सिजेरियन हुआ था. उस वक्त मुझे सर्ज‍िकल इंस्ट्रूमेंट लग गए. जन्म के वक्त मैं रोई नहीं तो डॉक्टर्स ने मरा हुआ समझकर डस्टब‍िन में डाल दिया. तभी मेरी नानी और मौसी आईं और किसी कर्मचारी को पैसे देकर कहा कि उसे डस्टबिन से निकाल दो. मुझे निकाला गया तब नानी ने कहा इसे पीठ पर मारो शायद जिंदा हो जाए और तभी मैं मारते ही रो पड़ी. मुझे ऑक्सीजन की कमी थी, इसलिए मैं चुप रही, बाद में 12 घंटे तक रोती रही. उस वक्त मुझे ट‍िटनेस और ज्वाइंडिस का शिकार समझ गलत इंजेक्शन दिए. डॉक्टर की गलती से केस इतना ब‍िगड़ गया कि मैं नॉर्मल बच्चों की तरह नहीं रही.”

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