कल्पना ने सच साबित की अपनी भविष्यवाणी, जो कहा वो कर दिखाया

नई दिल्ली। देश की करोड़ो बेटियों को प्रेरणा देने वाली कल्पना चावला का आज जन्मदिवस है। कल्पना चावला वो हैं जिन्होंने दुनियाभर के लोगों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए 6 अंतिरक्षयात्रियों के साथ कोलंबिया अंतिरक्षयान में उडान भरी थी। अपने काम को अंजाम देने के बाद जब कल्पना धरती पर कदम रखने ही वाली थी कि तभी वायुमंडल में कोलंबिया के टुकड़े-टुकड़े हो गए और धुल और धुएं के बीच भारत की बेटी कल्पना ने अपना दम तोड़ दिया।

कल्पना

कल्पना ने 41 साल की उम्र में अपनी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा की जो उनके लिए आखिरी साबित हुई। उनके वे शब्द सत्य हो गए जिसमें उन्होंने कहा था कि मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूं। हर पल अंतरिक्ष के लिए ही बिताया है और इसी के लिए मरूंगी।

यह भी पढ़ें-पीएम मोदी ने किया ट्वीट, अभी नहीं आएंगे किसानों के अच्छे दिन!

कल्पना का जन्म 17 मार्च, 1962 को हुआ था। करनाल में बनारसी लाल चावला और मां संजयोती के घर 17 मार्च 1962 को जन्मीं कल्पना अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं। घर में सब उन्हें प्यार से मोंटू कहते थे।

परिजनों का कहना है कि बचपन से ही कल्पना की दिलचस्पी अंतरिक्ष और खगोलीय परिवर्तन में थी। वह अकसर अपने पिता से पूछा करती थीं कि ये अंतरिक्षयान आकाश में कैसे उड़ते हैं? क्या मैं भी उड़ सकती हूं? पिता बनारसी लाल उनकी इस बात को हंसकर टाल दिया करते थे। उन्होंने सन् 1982 में अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस से एयरोस्पेस इंजिनियरिंग में मास्टर्स डिग्री ली।

उनके पास सीप्लेन, मल्टि इंजन एयर प्लेन और ग्लाइडर के लिए कमर्शल पायलट लाइसेंस था। वह ग्लाइडर और एयरप्लेंस के लिए भी सर्टिफाइड फ्लाइट इंस्ट्रक्टर भी थे। 1995 में कल्पना नासा में अंतरिक्ष यात्री के तौर पर शामिल हुई और 1998 में उन्हें अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया।

यह भी पढ़ें-सेल्फी लेते-लेते चल गई गोली, युवक की मौत

सबसे गर्व की बात तो ये थी कि कल्पना अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली पहली भारतीय महिला थी। कल्पना ने अपने पहले मिशन में 1.04 करोड़ मील का सफर तय किया था। उन्होंने पृथ्वी की 252 परिक्रमाएं और 360 घंटे अंतरिक्ष में बिताए।

कल्पना की दूसरी यात्रा उनकी आखिरी यात्रा साबित हुई और 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया अंतरिक्ष यान में उन्होंने दम तोड़ दिया।

LIVE TV