
रजत शुक्ला
ऐसे तो बॉलीवुड में कई नायक, महानायक है पर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनका योगदान और उनका काम छिपा ही रह जाता है हम बात कर रहे हैं ऐसे लोगों कि जिनके काम से औरों ने इस बॉलीवुड की दुनिया में अपना नाम बनाया पर फिर भी वे इस बॉलीवुड की चमक-धमक और चकाचौंध में कहीं खो से गए. आज हम आपको बताने जा रहे हैं उस कॉमेडियन, विलेन और लेखक की जिसने ‘एंग्री यंग मैन’ अमिताभ बच्चन से लेकर 90 के दशक के कॉमेडियन गोविंदा सब को अपने काम से सफलता की बुलंदियों पर पंहुचा दिया.
22 अक्टूबर 1937 को अफगानिस्तान के काबुल में जन्में कादर खान जिन्होंने पर्दे के पीछे और पर्दे पर रहकर दोनों ही सूरतों में शानदार काम किया. कादर खान का बचपन बहुत ही मुश्किलों और गरीबी में गुज़रा छोटी सी उम्र में ही उनके पिता ने उनको और उनकी मां को छोड़ दिया था। जिसके बाद उनके जीवन में उनके सौतेले पिता आए .लेकिन कादर खान ने हमेशा उस बुरे वक्त से लड़कर आगे बढ़ना ही चुना.
अगर उनके फ़िल्मी करियर की बात करें तो उनके लिखे हुए डायलॉग आज भी लोगों मुंह पर छाए हुए हैं। फिर चाहें अमिताभ बच्चन की फिल्म कालिया का मशहूर डायलॉग ‘हम जहां खड़े हो जाते हैं लाइन वहीं से शुरू होती है’ या फिर ‘मूछें हों तो नत्थूलाल जैसी’ ये सभी डायलॉग्स कादर खान की ही कलम से निकले हैं.
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कादर खान यूं तो अपने करियर में एक टीचर बनना चाहते थे लेकिन किस्मत तो उनके लिए कुछ और ही प्लान बनाए बैठी थीं. कादर खान ने आपने कॉलेज के एक कॉम्पीटीशन में भाग लिया. जिसके बाद उनकी दुनिया ही बदल गयी दरअसल, कॉम्पीटीशन के जज कोई और नहीं बल्कि निर्देशक राजेंद्र सिंह बेदी, उनका बेटा नरेंद्र सिंह बेदी और मशहूर अदाकार कामिनी कौशल थीं. तीनों ही जज कादर खान के काम से इतना इंप्रेस हुए कि उन्होंने कादर से फिल्मों में हाथ आजमाने के लिए कहा. तब से ही उन्होंने फिल्मों में बतौर राइटर काम करना शुरू किया. अगर हम बात करें अमिताभ बच्चन के फ़िल्मी करियर की तो वह कदर खान ही है जिन्होंने बॉलीवुड को महानायक के रूप में अमिताभ बच्चन दिया.
कादर ने अमर अकबर एंथोनी, मुकद्दर का सिकंदर, लावारिस, कालिया, नसीब, कूली जैसी फिल्मों के लिए डायलॉग्स लिखे हैं. उस दौर में अमिताभ बच्चन के अलावा सिर्फ कादर खान ही एक कलाकार थे जो मनमोहन देसाई और प्रकाश मेहरा के लिए एक साथ काम किया करते थे.
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कदर खान अपने जमाने के विलेन स्टार थे पर कुछ ऐसा हुआ कि उन्हें अपने विलेन के किरदार से मुख ही मोड़ने पर मजबूर कर दिया. दरअसल, हुआ यूं कि एक दिन कादर खान का बेटा स्कूल से लड़कर घर आया. जब कादर खान ने अपने बेटे से पूछा कि आखिर उन्होंने स्कूल में लड़ाई क्यों की ? तो इसके जवाब में उनके बेटे ने कहा कि स्कूल में सब उन्हें ये कहकर चिढ़ाते हैं कि उनके पापा बुरे आदमी हैं और वो विलेन हैं. जब कादर खान ने ये सुना, उसी दिन उन्होंने तय कर लिया कि वो अब पर्दे पर सिर्फ अच्छे रोल करेंगे और इसके बाद शुरू हुई कादर खान की कॉमेडी जर्नी.