न्यायपालिका-कार्यपालिका के बीच भाईचारा लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी : जस्टिस चेलमेश्वर

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय में सब कुछ ठीक ठाक न होने का बेहद गंभीर आरोप लगाने वाले चार जजों में से एक जस्टिस चेलमेश्वर ने मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा है।

जस्टिस चेलमेश्वर

उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर सावधान करते हुए कहा है कि न्यायपालिका-कार्यपालिका के बीच भाईचारा लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है।

दरअसल, जस्टिस चेलमेश्वर ने कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी को कटघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया है। इसमें चेलमेश्वर ने पत्र के जरिए केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय के इशारे पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कृष्ण भट्ट के खिलाफ शुरू की गई जांच वाले विषय को समझाया है।

जस्टिस चेलमेश्वर ने अपने पत्र में लिखा है कि बेंगलुरू से किसी एक ने रसातल पर जाने की दौड़ में हमें पहले ही हरा दिया है।

उन्होंने छह पेज के अपने इस पत्र में न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी पर आरोप लगाते हुए लिखा, कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश कार्यपालिका के आदेश पर काम करने के बहुत इच्छुक हैं। साथ ही उन्होंने लिखा कि हम सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों पर कार्यपालिका के बढते अतिक्रमण के सामने अपनी निष्पक्षता और अपनी संस्थागत ईमानदारी खोने का आरोप झेल रहे हैं।

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जस्टिस चेलमेश्वर ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को इस मुद्दे पर पूर्ण पीठ बुलाकर न्यायपालिका में कार्यपालिका के हस्तक्षेप के विषय पर विचार करने के लिए आग्रह किया है।

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साथ ही उन्होंने पत्र में यह भी लिखा है कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट संविधान के नियमों के तहत प्रासंगिक बना रहे। ताकि देश में न्याय व्यवस्था पर लोगो का विश्वास अडिग रहे।

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