गृहमंत्री के खिलाफ जवान ने खोला मोर्चा, कहा- मांगे नहीं मानी तो सपना बन जाएगा 2019

सीआरपीएफ जवाननई दिल्ली। देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान देने को हरदम तैयार रहने वाले जवानों की दास्तान में एक और कहानी जुड़ रही है। कहानी मांगों की, जिसमें सिस्टम से जूझ रहे एक सीआरपीएफ जवान ने अपना दर्द बयान किया है। बता दें यह वहीं जवान पंकज मिश्रा है, जिसने सुकमा माओवादी हमले के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह की निंदा की थी। ताजा मामले में पंकज ने अपने फेसबुक अकाउंट से एक वीडियो शेयर करते हुए मांगे रखी। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह के खिलाफ मोर्च खोला।

पंकज मिश्रा ने इस वीडियो में कई मांगे सरकार के सामने रखी हैं। 7 अक्टूबर को अपलोड किए गए इस वीडियो में पंकज मिश्रा ने 21 दिनों की भूख हड़ताल की घोषणा भी की है।

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जवान ने यह भी कहा कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो साल 2019 में कमल का फूल कीचड़ में भी नहीं खिलने देंगे।

पंकज मिश्रा ने इसके साथ ही दो और वीडियो पोस्ट की हैं। जिसमें एक वीडियो में वह जवानों को मिलने वाला खाना दिखा रहे हैं तो दूसरे वाले वीडियो में उन्होंने जवानों के रहने की जगह दिखाई है। इसके साथ ही उन्होंने एक पोस्ट भी लिखी है, जिसमें उन्होंने अपनी मांगों का जिक्र किया है।

राजनाथ सिंह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए वीडियो में कहा गया है, ‘सुकमा कांड के बाद मैंने राजनाथ सिंह की निंदा की थी। उसके बाद मुझे पीटा गया। जांच खुली तब भी मेरी पिटाई की गई। राजनाथ सिंह जी ये क्या करवा रहे हो? आपको इतनी ही शर्म आती है तो आप बताएं कि आपने अभी तक अपने कार्यकाल में क्या किया है? आपके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्या किया है? समझ में नहीं आता कि वे प्रचार मंत्री हैं या पर्यटन मंत्री। पूरे देश को उन्होंने गुमराह किया है। राष्ट्र को धोखा दिया है, उन्हें राष्ट्र से माफी मांगनी चाहिए।’

साथ ही जवान ने वीडियो में कहा, ‘न्यायपालिका तीन तलाक पर फैसला दे सकती है, शादी से पहले सेक्स पर फैसला दे सकती है। लेकिन वह आरक्षण पर नहीं बोलेगी। भारत में अंग्रेजी क्यों है, इस पर नहीं बोलेगी।

यहां तक सैन्य ढांचा में दखल तो देगी ही नहीं। इस पर न्यायपालिक बोलेगा कि ये सेना का मामला है, हम नहीं जानते।

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पुलिस शिकायत दर्ज नहीं करती। न्यायपालिक दखल नहीं देती। विधायिका सुनती नहीं। तो हम कहां जाएं?

आजादी के 70 साल बाद भी सैन्य ढांचा में अंग्रेजी कानून क्यों मौजूद हैं।? क्या हम उन्हें बदल नहीं सकते?

हम हमारे समानता के अधिकारों की मांग कर रहे हैं। मोदीजी तक यह वीडियो पहुंचाने के लिए मैं 21 दिनों की भूख हड़ताल कर रहा हूं।

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देखें वीडियो :-

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