जैन महाकुंभ शुरू, जानिए बाहुबली का भगवान विष्णु से संबंध

आज से जैन धर्म के पवित्र तीर्थस्थल त्रवणबेलगोला में महाकुंभ की शुरुआत हो गई है. हर 12 वें साल में होने वाले महामस्तकाभिषेक में भगवान बाहुबली का अभिषेक किया जाता है. इस महामस्तकाभिषेक में 35 से 40 लाख लोगों की भीड़ इकट्ठी होती है.

बाहुबली का अभिषेक

इस बार महामस्तकाभिषेक की थीम ‘आपका सौभाग्य बुला रहा है’ है. ये ऐसा कार्यक्रम है, जिसमें जैन के साथ दूसरे धर्म, संप्रदाय के लोग भी हिस्सा लेते हैं.  यहां जैन साधु, मुनि, त्यागी, संत, माताएं भगवान बाहुबली के सत्य, अहिंसा और शांति के रास्ते पर चलने का संदेश देती हैं ताकि विश्व में शांति की स्थापना की जा सके.

इसके पीछे की कहानी भी काफी इंटरेस्टिंग है. स्वामी भट्टारक के मुताबिक गोम्मटेश्वर भगवान बाहुबली तीर्थकर श्री ऋषभदेव के पुत्र थे. वह विष्णु के अवतार माने गए और अयोध्या के राजा थे. उनकी दो रानियां थीं. एक रानी से 99 पुत्र और एक पुत्री तथा दूसरी से गोम्मटेश्वर भगवान बाहुबली तथा एक पुत्री सुंदरी थी. बाहुबली का अपने ही भाई भरत से शासन, सत्ता के लोभ तथा चक्रवर्ती बनने की इच्छा के कारण दृष्टि युद्ध, जल युद्ध और मल्ल युद्ध हुआ था.

इस युद्ध में बाहुबली विजयी रहे. लेकिन उनका मन ग्लानि से भर गया और उन्होंने सब कुछ त्यागकर तप करने का निर्णय लिया. उसके बाद बाहुबली ने अहिंसा और शांति के संदेश दिए.

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