इसरो ने स्पैडेक्स उपग्रहों की सफलतापूर्वक डी-डॉकिंग की..

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने घोषणा की कि उसने स्पैडेक्स उपग्रहों को सफलतापूर्वक डी-डॉक करने का काम पूरा कर लिया है

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने घोषणा की कि उसने स्पैडेक्स उपग्रहों को सफलतापूर्वक डी-डॉक करने का काम पूरा कर लिया है, जिससे भविष्य के मिशनों के लिए रास्ता साफ हो गया है, जिसमें चंद्रमा की खोज, मानव अंतरिक्ष उड़ान और अपना स्वयं का अंतरिक्ष स्टेशन बनाना शामिल है।

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस खबर को एक्स पर साझा करते हुए बताया कि स्पैडेक्स उपग्रहों की डी-डॉकिंग एक प्रभावशाली उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि यह मील का पत्थर भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, चंद्रयान 4 और गगनयान जैसे महत्वाकांक्षी आगामी मिशनों के सुचारू निष्पादन की सुविधा प्रदान करता है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसरो टीम को बधाई दी और कहा कि यह प्रगति हर भारतीय के लिए उत्थानकारी है।

उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का निरंतर सहयोग अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़े लोगों को प्रेरित और उत्साहित करता रहता है। 30 दिसंबर को इसरो ने अपने महत्वाकांक्षी स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (SpaDeX) मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। PSLV C60 रॉकेट श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से उड़ान भरकर दो छोटे उपग्रहों- SDX01 (चेज़र) और SDX02 (टारगेट) के साथ-साथ 24 अन्य पेलोड लेकर गया।

इसरो ने स्पैडेक्स मिशन को लागत प्रभावी प्रौद्योगिकी प्रदर्शनकर्ता के रूप में वर्णित किया है जिसका उद्देश्य दो छोटे उपग्रहों के साथ अंतरिक्ष में डॉकिंग क्षमताओं का प्रदर्शन करना है। यह तकनीक भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक है, जिसमें चंद्रमा पर मिशन, चंद्र सतह से नमूना वापसी संचालन और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) का निर्माण और प्रबंधन आदि शामिल हैं। अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक तब महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जब साझा मिशन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कई रॉकेट लॉन्च करने की आवश्यकता होती है। इस पहल के साथ, भारत अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बनने की राह पर है।

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